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पञ्चमाध्यायस्य तृतीय पादः अर्थ:-प्रकारवचनेऽर्थे वर्तमानात् किम्-शब्दात् प्रातिपदिकाच्च थमुः प्रत्ययो भवति।
उदा०-केन प्रकारेण-कथम्।
आर्यभाषा: अर्थ-(प्रकारवचने) प्रकारवचन अर्थ में विद्यमान (किम:) किम् प्रातिपदिक से (च) भी (थमुः) थमु प्रत्यय होता है।
उदा०-किस प्रकार से-कथम् (कैसे)। सिद्धि-कथम् । किम्+टा+थमु। क+थम्। कथम्+सु। कथम्+० । कथम्।
यहां तृतीयान्त 'किम्' शब्द से प्रकार-वचन में इस सूत्र से 'थमु' प्रत्यय है। किम: क:' (७।२।१०३) से 'किम्' को 'क' आदेश होता है। था
(२६) था हेतौ च च्छन्दसि।२६। प०वि०-था १।१ हेतौ ७।१ च अव्ययपदम्, छन्दसि ७।१ । अनु०-प्रकारवचने, किम इति चानुवर्तते। अन्वय:-छन्दसि हेतौ प्रकारवचने च किमस्था।
अर्थ:-छन्दसि विषये हेतौ प्रकारवचने चार्थे वर्तमानात् किम्-शब्दात् प्रातिपदिकात् था प्रत्ययो भवति। ... उदा०-(हतुः) कथा ग्रामं न पृच्छसि (ऋ० १० ११४६ ॥१.)। केन हेतुना न पृच्छसीत्यर्थः । (प्रकारवचनम्) कथा देवा आसन् पुराविदः ।
आर्यभाषा: अर्थ-(छन्दसि) वेदविषय में (हतौ) हेतु कारण (च) और (प्रकारवचने) प्रकार-वचन अर्थ में विद्यमान (किम:) किम् प्रातिपदिक से (था) था प्रत्यय होता है।
उदा०-हितु) कथा ग्रामं न पृच्छसि (ऋ० १० ११४६।१)। तू किस कारण से ग्राम को नहीं पूछता है। (प्रकारवचन) कथा देवा आसन् पुराविदः । पुरावेत्ता विद्वान् किस प्रकार के थे।
सिद्धि-कथा। किम्+टा+था। क+था। कथा+सु। कथा+० । कथा।
यहां तृतीयान्त 'किम्' शब्द से हेतु और प्रकारवचन में इस सूत्र से 'था' प्रत्यय है। किम: क:' (७।२।१०३) से किम्' को 'क' आदेश होता है।
इति विभक्तिसंज्ञाप्रकरणम् ।
माता
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