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________________ ३६ चतुर्थाध्यायस्य प्रथमः पादः उदा०-(वृषाकपि:) वृषाकपे: स्त्री-वृषाकपायी। (अग्नि:) अग्ने: स्त्री-अग्नायी। (कुत्सित:) कुसितस्य स्त्री-कुसितायी। (कुसीद:) कुसीदस्य स्त्री-कुसीदायी। आर्यभाषा: अर्थ-(वृषाकपि०कुसीदानाम्) वृषाकपि, अग्नि, कुत्सित, कुसीद प्रातिपदिकों से (स्त्रियाम्) स्त्रीलिङ्ग में (डीप्) डीप् प्रत्यय होता है और उनके अन्त में (उदात्त:) उदात्त (ऐ:) ऐकारादेश होता है। उदा०-(वृषाकपि) वृषाकपे: स्त्री-वृषाकपायी। विष्णु की पत्नी लक्ष्मी। (अग्नि) आने: स्त्री-अग्नायी। अग्निदेव की स्त्री स्वाहा। (कुसित) कुसितस्य स्त्री-कुसितायी। ब्याज से निर्वाह करनेवाले पुरुष की पत्नी। (कुसीद) कुसीदस्य स्त्री-कुसीदायी । ब्याजखोर की पत्नी। सिद्धि-वृषाकपायी। वृषाकपि+डीप् । वृषाकपै+ई। वृषाकपापी+सु । वृषाकपायी। यहां 'वृषाकपि' शब्द से स्त्रीलिङ्ग में इस सूत्र से 'डीप्' प्रत्यय है और वृषाकपि' शब्द के 'इकार' को ऐकार' आदेश होता है। ऐसे ही-अग्नायी आदि। डीप्-विकल्प (औः, ऐरुदात्तः) (३४) मनो रौ वा ।३८ । प०वि०-मनो: ६।१ औ १।१ (सु-लुक्) वा अव्ययपदम्। अनु०-डीप, ऐ, उदात्त इति चानुवर्तते। अन्वय:-मनो: स्त्रियां वा डीप, औः, ऐश्चोदात्त:। अर्थ:-मनुशब्दात् प्रातिपदिकात् स्त्रियां विकल्पेन डीप् प्रत्ययो भवति, तस्य चान्ते औकार, उदात्त ऐकारादेशश्च भवति। उदा०-मनो: स्त्री-मनावी, मनायी, मनुर्वा । आर्यभाषा: अर्थ-(मनो:) मनु प्रातिपदिक से (स्त्रियाम्) स्त्रीलिङ्ग में (वा) विकल्प से (डी) डीप् प्रत्यय होता है (औ:) और उसके अन्त में औकार तथा (उदात्त:) उदात्त (ए:) ऐकार आदेश होता है। उदा०-मनो: स्त्री-मनावी, मनायी, मनुर्वा । मनु की पत्नी-मनावी, मनायी अथवा मनु। सिद्धि-(१) मनावी। मनु+डीप् । मनौ+ई। मनावी+सु । मनावी। यहां मनु' शब्द से स्त्रीलिङ्ग में इस सूत्र से 'डीप्' प्रत्यय और 'मनु' शब्द के उकार को औकार आदेश है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003298
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1998
Total Pages624
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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