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पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् (२) ऐकचक्रकः । यहां एकचक्रा' शब्द से पूर्ववत् वुञ्' प्रत्यय है। 'एङ् प्राचां देशे (१।११७४) से 'एकचक्रा' शब्द की वृद्धसंज्ञा होती है। ऐसे ही-काकन्दकः, माकन्दकः।
विशेष-(१) पाटलिपुत्र-मगध या दक्षिण बिहार के एक प्रसिद्ध नगर का नाम। यह गंगा और सोन नदी के संगम पर बसाया गया था। इसका दूसरा नाम कुसुमपुर है (शब्दार्थकौस्तुभ पृ० १३८६)।
(२) एकचक्रा-महाभारत में वर्णित एक प्राचीन नगरी (शब्दार्थकौस्तुभ)।
(३) ककन्द के द्वारा बनवाई गई काकन्दी और मकन्द के द्वारा बनवाई गई नगरी माकन्दी कहाती है। वुञ्
(३३) जनपदतदवध्योश्च।१२३। प०वि०-जनपद-तदवध्यो: ६।२ (पञ्चम्यर्थे) च अव्ययपदम् ।
स०-स एव जनपदोऽवधिरिति तदवधिः । जनपदश्च तदवधिश्च तौजनपदतदवधी, तयो:-जनपदतदवध्यो: (कर्मधारयगर्भित इतरेतरयोगद्वन्द्वः) ।
अनु०-शेषे, देशे, वृद्धाद्, वुञ् इति चानुवर्तते । अन्वय:-यथासम्भव०वृद्धाज्जनपदात् तदवधेश्च शेषे वुन् ।
अर्थ:-यथासम्भवविभक्तिसमर्थाद् वृद्धसंज्ञकाद् जनपदवाचिनस्तदवधिवाचिनश्च प्रातिपदिकाच्च शेषेष्वर्थेषु वुञ् प्रत्ययो भवति ।
उदा०-(जनपद:) आभिसारे जात: आभिसारकः । आदर्श जात: आदर्शक:। (तदवधि:) औपुष्टे जात: औपुष्टक: । श्यामायने जात: श्यामायनक:।
आर्यभाषा: अर्थ-यथासम्भव-विभक्ति-समर्थ (वृद्धात्) वृद्धसंज्ञक (जनपदतदवध्यो:) जनपद तथा उसके अवधि-सीमावाची प्रातिपदिक से (च) भी (शेषे) शेष अर्थों में (वुञ्) वुञ् प्रत्यय होता है।
उदा०-(जनपद) आभिसारे जात आभिसारकः । आभिसार नामक जनपद में उत्पन्न हुआ-आभिसारक। आदर्श जात आदर्शकः। आदर्श नामक जनपद में उत्पन्न हुआ-आदर्शक। (तदवधि) औपुष्टे जात औपुष्टकः । औपुष्ट नामक जनपद-सीमा में उत्पन्न हुआ-औपुष्टक । श्यामायने जात: श्यामायनकः । श्यामायन नामक जनपद-सीमा में उत्पन्न हुआ-श्यामायनक।
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