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________________ १७५ चतुर्थाध्यायस्य द्वितीयः पादः । अण् (निपातनम्) . (१) कौमारापूर्ववचने।१२। प०वि०-कौमार १११ (सु-लुक्) अपूर्ववचने ७।१ । स०-न पूर्व इति अपूर्व:, अपूर्वस्य वचनमिति अपूर्ववचनम्, तस्मिन्-अपूर्ववचने (नगर्भितषष्ठीतत्पुरुषः)। अत्र पाणिग्रहणस्यापूर्ववचनं वेदितव्यम् । उभयत: स्त्रिया अपूर्वत्वे निपातनमेतत्। अन्वय:-अपूर्ववचने कौमारोऽण् । अर्थ:-अपूर्ववचने द्योत्ये कौमारशब्दोऽण् प्रत्ययान्तो निपात्यते। उदा०-अपूर्वपतिं कुमारी पतिरुपपन्न इति कौमार: पति: । अथवाअपूर्वपति: कुमारी पतिमुपन्नेति कौमारी भार्या । आर्यभाषा: अर्थ-(अपूर्ववचने) अपूर्वता के कथन में (कौमारः) कौमारे शब्द (अण) अण् प्रत्ययान्त निपातित है। उदा०-अपूर्वपति कुमारी पतिरुपपन्न इति कौमार: पति: । अपूर्वपतिवाली कुमारी को पति प्राप्त होगया वह कौमारः' पति कहाता है। अथवा-अपूर्वपतिः कुमारी पतिमुपन्नेति कौमारी भार्या । अपूर्वपति कुमारी पति को प्राप्त होगई वह कौमारी' भार्या कहाती है। सिद्धि-(१) कौमारः । कुमारी+अम्+अण्। कौमार+अ। कौमार+सु । कौमारः। यहां द्वितीया-समर्थ कुमारी' शब्द से पाणिग्रहण के अपूर्ववचन में अर्थात् अपूर्वपति कुमारी जिस पति को प्राप्त हुई है वह कौमार' पति कहाता है। . (२) कौमारी। कुमारी+सु+अण्। कौमार्+अ । कौमार+डी । कौमारी+सु। कौमारी। यहां प्रथमा-समर्थ कुमारी' शब्द से पाणिग्रहण के अपूर्ववचन में अर्थात् जो अपूर्वपति कुमारी पति को प्राप्त होगई वह कौमारी' भार्या कहाती है। यहां कुमारी को पति प्राप्त करे अथवा कुमारी पति को प्राप्त करे दोनों अवस्थाओं में कुमारी' शब्द से 'अण' प्रत्यय निपातित है। स्त्रीत्व-विवक्षा में टिड्ढाण' (४।१।१५) से 'डीप्' प्रत्यय होता है। शेष कार्य पूर्ववत् है। . उद्धृतार्थप्रत्ययविधिः अण् (१) तत्रोद्धृतममत्रेभ्यः ।१३। प०वि०-तत्र अव्ययपदम्, उद्धृतम् ११ अमत्रेभ्य: ५।३ । अमत्रम्=पात्रम्। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003298
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1998
Total Pages624
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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