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________________ ११८ पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् अन्वय:-तस्य कुलटाया अपत्यं ढक् वा इनङ् । अर्थ:-तस्य इति षष्ठीसमर्थात् कुलटाशब्दात् प्रातिपदिकाद् अपत्यमित्यस्मिन्नर्थे ढक् प्रत्ययो भवति, विकल्पेन च इनङ् आदेशो भवति। उदा०-कुलटाया अपत्यम्-कौलटिनेय:, कौलटेयो वा। आर्यभाषा8 अर्थ-(तस्य) षष्ठी-समर्थ (कुलटाया:) कुलटा प्रातिपदिक से (अपत्यम्) अपत्य अर्थ में (ढक्) ढक् प्रत्यय होता है और (वा) विकल्प से (इनङ्) इन आदेश होता है। उदा०-कुलटाया अपत्यम्-कौलटिनेयः, कौलटेयो वा। कुलटा व्यभिचारिणी स्त्री का पत्र-कौलटिनेय अथवा कौलटेय।। सिद्धि-(१) कौलटिनेय: । कुलटा+डस्+ढक् । कुलट् इनङ्+एय। कौलटिन्+एय। कौलटिनेय+सु। कौलटिनेयः। यहां कुलटा' शब्द से अपत्य अर्थ में इस सूत्र से ढक्' प्रत्यय और इनङ् आदेश होता है। किति च' (७।२।११२) से अंग को आदिवृद्धि होती है। (२) कौलटेयः । कुलटा+डस्+ढक् । कौलट्+एय। कौलटेय+सु। कौलटेयः । यहां षष्ठी-समर्थ 'कुलटा' शब्द से अपत्य अर्थ में ढक्' प्रत्यय और विकल्प-पक्ष में इनङ्’ आदेश नहीं है। शेष कार्य पूर्ववत् है। विशेष-कुलान्यटतीति-कुलटा। कुल+अटा=कुलटा। यहां इसी सूत्रोक्त निपातन से पररूप एकादेश होता है। ऐरक् (१) चटकाया ऐरक् ।१२८। प०वि०-चटकाया: ५ ।१ ऐरक् १।१। अनु०-तस्य, अपत्यमिति चानुवर्तते। अन्वय:-तस्य चटकाया अपत्यम् ऐरक् । अर्थ:-तस्य इति षष्ठीसमर्थाच्चटकाशब्दात् प्रातिपदिकाद् अपत्यमित्यस्मिन्नर्थे ऐरक् प्रत्ययो भवति। उदा०-चटकाया अपत्यम्-चाटकर: । आर्यभाषा: अर्थ-(तस्य) षष्ठी-समर्थ (चटकाया:) चटका प्रातिपदिक से (अपत्यम्) अपत्य अर्थ में (एरक) ऐरक् प्रत्यय होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003298
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1998
Total Pages624
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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