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अनुभूमिका
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(२२) वृजि :- बिहार प्रान्त में गंगा के उत्तर का प्रदेश वृजि कहाता था ( ४ २ | १३१) । यहां विदेह लिच्छवियों का राज्य था ।
(२३) मगध :- काशि जनपद के पूर्व में गंगा के दक्षिण का प्रदेश मगध जनपद था और यहां राजतन्त्र शासन था ।
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(२४) कलिंग पूर्वी समुद्र-तट पर कलिंग देश था जहां इस समय महानदी बहती है । पाणिनि मुनि के समय यह जनपद राज्य था ( ४ । १ । १७० ) । सोलह महाजनपदों की सूची में इसका नाम नहीं है ।
(२५) सूरमस :- यह नाम केवल अष्टाध्यायी ( ४ । १ । १७० ) में मिलता है । ज्ञात होता है कि असम प्रान्त में प्रसिद्ध सूरमा नदी की घाटी और पर्वत - उपत्यका का नाम सूरमस था ।
(२६) अवन्ति :- यह महाभारत कालीन एक प्रसिद्ध जनपद था ( ४ । १ । १७६ ) । इसकी राजधानी उज्जयिनी थी ।
(२७) कुन्ति :- यमुना और चन्द्रभागा (चम्बल) के तट पर कुन्ति राष्ट्र ( वर्तमान ग्वालियर) राज्य था ( ४ । १ । १७६) । यह अब भी कोंतवार कहलाता है ।
(२८) अश्मक :- अश्मक जनपद की राजधानी अन्य ग्रन्थों के अनुसार प्रतिष्ठान थी (४।१।१७३) । जो कि आज गोदावरी नदी के किनारे पैष्ठा नाम से प्रसिद्ध है। पैष्ठा शब्द प्रतिष्ठान का ही अपभ्रंश है ।
(२९) भौरिकि :- पाणिनि मुनि ने अष्टाध्यायी ( ४।२।५४ ) में भौरिकि लोगों के देश का भौरिकिभक्त नाम से उल्लेख किया है। वैजयन्ती कोश ( पृ० ३७ ) के अनुसार बंगाल का समतल (दक्षिणी बंगाल) प्रदेश भौरिक कहलाता था ।
(३०) बर्बर :- इस जनपद का अष्टाध्यायी ( ४ । ३ । ९३ ) में उल्लेख है । यह सिन्धु- सागर के संगम के समीप बर्बरिक समुद्र - पत्तन था ।
(३१) कश्मीर :- यह एक लोकप्रसिद्ध जनपद है । अष्टाध्यायी ( ४ । ३ । ९३ ) सिन्धु-आदिगण में इसका उल्लेख मिलता है ।
(३२) उरस :- इसका अष्टाध्यायी ( ४ । ३ ।९३) के सिन्धु-आदिगण में उल्लेख है। इसका वर्तमान नाम हजारा है । यह सिन्धु कृष्णगंगा और झेलम के बीच का प्रदेश था। यह पश्चिमी गन्धार और अभिसार (वर्तमान पुंछ राजौरी) के मध्य में है ।
(३३) दरद् :- इसकी अष्टाध्यायी (४ । ३ । ९३ ) के सिन्धु आदिगण में उल्लेख है। यह उत्तर-पश्चिम कश्मीर का गिलगित - हुंजा प्रदेश था ।
(३४) गब्दिका : इसका अष्टाध्यायी ( ४ । ३ । ९३ ) के सिन्धु आदिगण में उल्लेख है । यह धौलाधार से ऊपर चम्बा राज्य में गद्दियों के गद्देरन प्रदेश का प्राचीन नाम ज्ञात होता है।
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