________________
५१२
पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् उदा०-कारकः । करनेवाला। कर्ता। करनेवाला। नन्दनः । आनन्दित करनेवाला। ग्राही। ग्रहण करनेवाला। पच: । पकानेवाला।
सिद्धि-कारक' आदि शब्दों की सिद्धि ‘ण्वुल्तृचौ' (३।१।१३३) तथा 'नन्दिग्रहिपचादिभ्यो०' (३।१।१३४) में की जा चुकी है, वहां देख लेवें।
विशेष-कृदतिङ्' (३।१।९३) से धातु से विहित तिङ्-भिन्न प्रत्ययों की कृत्-संज्ञा है। भव्यादयः (वा कर्तरि)(२) भव्यगेयप्रवचनीयोपस्थानीयजन्याप्लाव्यापात्या वा।६८।
प०वि०- भव्य-गेय-प्रवचनीय-उपस्थानीय-जन्य-आप्लाव्यआपात्या: १३ वा अव्ययपदम् ।
अनु०-कर्तरि इत्यनुवर्तते।
अर्थ:-कृत्यप्रत्ययान्ता भव्यादय: शब्दा: कर्तरि कारके विकल्पेन निपात्यन्ते। तयोरेव कृत्यक्तखला:' (३।४।७०) इति भावे कर्मणि च प्राप्ते विकल्पेन कीर विधीयन्ते। उदाहरणम्शब्द: कर्तरि
भावे/कर्मणि (१) भव्यः भवत्यसौ भव्य: भव्यमनेन (भा०) (२) गेय: गेयो माणवक: साम्नाम् गेयानि माणवकेन सामानि (३) प्रवचनीयः प्रवचनीयो गुरुः प्रवचनीयो गुरुणा
स्वाध्यायस्य। स्वाध्याय: (क०)। (४) उपस्थानीय: उपस्थानीयोऽन्तेवासी उपस्थानीयोऽन्तेवासिना गुरोः।
गुरु: (क०)। (५) जन्य: जायतेऽसौ जन्य: जन्यमनेन (भा०) । (६) आप्लाव्य: आप्लावतेऽसावाप्लाव्यः। आप्लाव्यमनेन (भा०) । (७) आपात्य: आपतत्यसावापात्यः। आपात्यमनेन (भा०) ।
आर्यभाषा-अर्थ-(भव्य आपात्या:) कृत्य-प्रत्ययान्त भव्य, गेय, प्रवचनीय, उपस्थानीय जन्य, आप्लाव्य, आपात्य शब्द (करि) कर्ता कारक अर्थ में (वा) विकल्प से निपातित हैं।
उदा०-संस्कृत भाग में देख लेवें। अर्थ इस प्रकार है-(भव्य) वर्तमान। इसके द्वारा होना चाहिये। गिय) यह बालक साम-मन्त्रों का गान करनेवाला है। इस बालक के द्वारा साम-मन्त्रों का गान करना चाहिये। (प्रवचनीय) गुरु स्वाध्याय का प्रवचन करनेवाला
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org