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पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् ४. शालकि
म० म० पं० शिवदत्त शर्मा का मत है कि यह पाणिनि का नाम अपत्यार्थक है अर्थात् पाणिनि के पिता का नाम शलक था। ‘शलकस्यापत्यम्-शालकिः । शलक का पुत्र शालकि कहाता है। (महा० नवा० भूमिका निर्णयसागरसंस्करण पृ० १४)। ५. शालातुरीय
१. अष्टाध्यायी के 'तूदीशलातुर०' (४।३।८४) सूत्र के अनुसार जिसके पूर्वजों का अभिजन=निवास स्थान शलातुर हो, उसे शालातुरीय कहते हैं। गणरत्नमुहोदधि के लेखक वधर्मान ने पाणिनि को शालातुरीय लिखा है- 'शालातुरीयस्तत्रभवान् पाणिनिः' (पृ० १)।
२. वलभी के एक शिलालेख में पाणिनिशास्त्र को 'शालातुरीय तन्त्र' कहा गया है। (शीलादित्य सप्तम का लेख, शिलालेख पृ० १६५)।
३. चीनी यात्री श्यूआन् च्युआङ् सप्तम शताब्दी के आरम्भ में मध्य एशिया के स्थल-मार्ग से भारत आते हुए शलातुर ठहरा था। उसने लिखा है कि उद्भाण्ड के लगभग बीस लि (लगभग ४ मील) पर शलातुर स्थान था। यह वही जगह है जहां ऋषि पाणिनि का जन्म हुआ था। जिन्होंने शब्दविद्या की रचना की थी (बील, सियुकि १११४)।
शलातुर की पहचान लहुर नाम गांव के साथ की गई थी।
टि०- काबुल और सिन्धु के संगम पर ओहिन्द (प्राचीन उद्भाण्डपुर) है। वहां से ठीक चार मील उत्तर-पश्चिम की ओर लहर' गांव है। मरदान से ओहिन्द जानेवाली बसें 'लहुर' होकर जाती हैं (पा० का० भारतवर्ष)। अब यह गांव अफगानिस्तान में है। ६. आहिक
'आहिकनामा मुनिर्गोत्रनाम्ना विख्यात:' अर्थात् आहिक नामक मुनि लोक में अपने गोत्र (पाणिनि) नाम से प्रसिद्ध हुआ। इससे विदित होता है कि पाणिनि का पितृ-कृत नाम 'आहिक' था।
पाणिनि विषयक अनुश्रुति पाणिनि मुनि के सम्बन्ध में संस्कृत साहित्य में निम्नलिखित अनुश्रुतियां उपलब्ध होती हैं।
१. सोमदेव के कथासरित्सागर और क्षेमेन्द्र की बृहत् कथामजरी में पाणिनि के सम्बन्ध में इतिवृत्त कहानी के रूप में मिलता है। इसके अनुसार पाणिनि मुनि आचार्य 'वर्ष' के मन्दबुद्धि शिष्य थे। फिसड्डीपन से दुःखित होकर पाणिनि तप करने हिमालय
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