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अष्टाध्यायी के पुनरुद्धारक
स्वामी विरजानन्द सरस्वती
अष्टाध्यायी-महाभाष्ये द्वे व्याकरणपुस्तके। अतोऽन्यत् पुस्तकं यत्तुं तत्सर्वं धूर्तचेष्टितम् ।।
-विरजानन्द सरस्वती
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