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२८
३.
४.
मलेरिया का उपाय |
काल का निर्धारण (सृष्टि संवत्) ।
शारीरिक पतन का कारण : तम्बाकू ।
६.
गीता और अहिंसा |
७. संस्कृत की व्यापक ध्वनियां (पाण्डुलिपि मेरे पास सुरक्षित है ) ।
८. राजनीति और महर्षि दयानन्द ।
५.
पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम्
९. दहेज-प्रथा ।
१०. महर्षि दयानन्द और दहेजप्रथा ।
११. जन्दावस्ता और वेद ।
१२. हिन्दी रक्षा सत्याग्रह । १३. उचित उपाय ( हिन्दी - रक्षा) । १४. वास्तविक तर्पण ।
१५. चाय का मानव - देह पर दुष्प्रभाव ।
१६. क्या वेद में वशिष्ठ का इतिहास है ?
१७. भाषाओं का विकास ।
१८. महाभारतकालीन अद्भुत शस्त्रों की झांकी ।
१९. महर्षि दयानन्द और गोरक्षा ।
२०. सिद्धान्त कौमुदी की अन्त्येष्टि के लेखन में महत्त्वपूर्ण योगदान ।
खेद है कि आप १८ जून १९६५ ई० में विशूचिका रोग से लगभग ४६ वर्ष की आयु में ही हमें छोड़कर स्वर्गधाम चले गए। गुरुवर ! आपके द्वारा प्रारम्भ किया गया पाणिनीय व्याकरणशास्त्र का पठन-पाठन रूप यज्ञ आपके तप से अबाध गति से चल रहा है और उसकी सुगन्धि भारत के सभी प्रान्तों में फैल रही है। अब श्री विजयपाल योगार्थी गुरुकुल में आर्ष शिक्षा महायज्ञ का संचालन कर रहे हैं ।
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पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम्
दिनांक ११ अक्तूबर १९९६ को जनकपुरी नई दिल्ली आर्यसमाज के उत्सव पर स्वामी ओमानन्द जी पधारे और उनका रात्रि-सभा में वेद-विषयक प्रभावशाली व्याख्यान हुआ और मुझे प्रेरणात्मक आशीर्वाद दिया कि तुम अष्टाध्यायी का एक अच्छा भाष्य लिख दो। मैं उसे प्रकाशित कर दूंगा । श्रद्धेय स्वामी जी महाराज के आशीर्वाद से ही यह 'पाणिनीय-अष्टाध्यायी प्रवचनम्' नामक अष्टाध्यायी का भाष्य पाठकों की सेवा में प्रस्तुत किया जा रहा है। स्वामी जी महाराज ने ही 'ब्रह्मर्षि स्वामी विरजानन्द आर्ष धर्मार्थ न्यास' गुरुकुल झज्जर (हरयाणा) की ओर से प्रकाशित किया है ।
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