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प्रवचनसारको विषयानुक्रमणिका
पृ. गा.
विषय
. १०
विषय
पृ. गा. मंगलाचरणपूर्वक ग्रंथकर्ताको प्रतिज्ञा . २१
इन्द्रिय-ज्ञानका भूतादि पर्यायोंके जानने में . . १. ज्ञानाधिकारः
असमर्थपना
. २७१४० वीतराग सराग चारित्रके उपादेयहेयका
अतीन्द्रिज्ञानमें ही सबको जाननेकी कथन . . . ६६ सामर्थ्य है
. ४८०४१ चारित्रका स्वरूप
| रागद्वेषी परिणामोंसे ही कर्मोका बंध . ५०१४३ चारित्र और आत्माकी एकताका कथन . ८८ अरहंतोंके पुण्यका उदय बंधका कारण आत्माके शभादि तीन भावोंका कथन . ९४९ । नहीं है, यह कथन . . ५२१४५ शुभादि भावोंका फल
. १११११ अतीन्द्रिय ज्ञान क्षायिक है . . ५४.४७ शुद्धोपयोगबाले जीवका स्वरूप
१४।१४। सबको न जाननेसे आत्माको नहीं जानना, शुद्धोपयोगके बाद ही शुद्ध आत्मस्वभावकी
एक आत्म-ज्ञानाभावसे सबके जाननेका प्राप्ति होती है . . १६.१५ | अभाव
. ५५।४८ शद्ध स्वभावका नित्य तथा उत्पादादिस्वरू- क्रमसे प्रवृत्त ज्ञानको सर्वगतपनका अभाव पका कथन
. २०१७ तथा युगपत् प्रवृत्तको सर्वगतपना ५८१५० शद्धात्माके इन्द्रियोंके विना ज्ञान-सुख
क्रियाका फल बंध नहीं है . . ६०५२ होता है
. २३३१९ ज्ञानसे सुख अभिन्न है . • ६२०५३ अतीन्द्रिय ज्ञान होनेसे सर्वप्रत्यक्षपना . २७।२१ अतीन्द्रिय सुखका कारण अतीन्द्रिय ज्ञान आत्मा ज्ञान के प्रमाण है यह कथन . २९।२३ | उपादेय है यह कथन . • ६४१५४ ज्ञानके प्रमाण आत्माको न मानने में दूषण ३०२४ इन्द्रिय सुखका कारण इन्द्रिय-ज्ञान .६५।५५ ज्ञानकी तरह आत्माका सर्बगतत्वपना . ३०२६ | इन्द्रिय-ज्ञानका हेयपना
. ६६५६ आत्मा और ज्ञानकी एकता और अन्य
परोक्ष प्रत्यक्षका लक्षण . . ६८१५८ ___ ताका कथन . . ३२।२७ पूर्वोक्त प्रत्यक्ष वास्तवमें सुख है ज्ञान-ज्ञेयकी आपसमें गमनाभाव शक्तिकी . केवलीको जाननेसे खेद नहीं होता . ७०।६० विचित्रताका कथन . . ३४०२८ केवलज्ञान सुखरूप है .
७२०६१ ज्ञानका अर्थोंम और पदार्थीका ज्ञानमें
परोक्षज्ञानीको यथार्थ सुख नहीं है ७४।६३ रहना इसका दृष्टान्त . ३६।३० शरीर, सुखका कारण नहीं है • ७६०६५ आत्माका पदार्थोसे पृथक्पना . ३८/३२ | इन्द्रियोंके विषय भी सूखके कारण केवलज्ञानी और श्रुतकेवलीमें अविशेषता
नहीं है
. . . ७७.६७ किसी अपेक्षासे है .
सुख आत्माका स्वभाव है . . ७८६८ ज्ञानका श्रुतरूप उपाधिसे रहितपना , ४०॥३४ शुभोपयोगका स्वरूप . . .. ८०६९ आत्म-ज्ञानमें कर्ता करण भेदका अभाव . ४२॥३५ | शुभोपयोगसे इंद्रिय-सुख-प्राप्ति .८११७० ज्ञान और ज्ञेयका स्वरूप . • ४३३३६ इन्द्रिय-सुख यथार्थमें दुःख ही है . ८२१७१ असद्भत पर्यायोंको किसी प्रकार सद्भुतपना - शुम और अशुभ दोनों उपयोगोंमें समानतथा ज्ञानमें प्रत्यक्ष होना . ४६।३८ पनेका कथन
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