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स्वनामधन्य परमपूज्य साध्वीजी श्री १००८ श्रीवसन्तश्रीजी महाराजका संक्षिप्त परिचय
प्रातःस्मरणीय परमपूज्य श्रीवसन्तश्रीजी महाराजका शुभ जन्म सं. १९४८ का मार्गशीर्ष शुक्ला एकादशी ( मौनएकादशी ) के दिन बीकानेरमें हुआ था। आपके पिताजी और माताजीका शुभनाम क्रमशः श्रीभैरुदानजी तथा श्रीचांदाबाई था।
आपकी शादी केवल आठ सालकी उम्रमें हुई । “पुण्यात्माओंको भववैराग्यके निमित्तोंका योग भी सहज होता ही है" आपको भी यह बातका स्वानुभव शादीके बाद केवल चार मास में ही आपके पतिका देहान्तसे हुआ ।
इस प्रकार संसारकी असारताको प्रत्यक्ष देखकर आपका मन इसी समयसे उदासीन होता रहा । उत्तरोत्तर प्रवर्द्धमान धर्मभावनासे बारह सालकी उम्रके बादसे ही आप धर्माराधनमें मग्न हुई और दीक्षाप्रहणकी दृढ़ इच्छा बराबर जागृत होती रही। दीक्षाग्रहणकी भावना दृढ होनेके बाद ही आपने अपनी सभी संपत्ति जो करीब रु. ४००००) (चालीस हजार )की थी, पिंजरापोल-बीकानेर- में जीवदयार्थ दे दी। इस प्रकार इस नश्वर संपत्तिका मूक जीवोंके कल्याणार्थ सद्व्यय करके आप शाश्वतसुख के मार्ग में दिन प्रतिदिन विशेष उद्युक्त होती रही।
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