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कुवलयमालाकथागत पंचपरमेष्ठिनमस्कार तथा प्रवचनमंगलसार और चतुः शरण - आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक आदि प्राकृत रचनाओंके अतिरिक्त बहुतसी उपकारक भाषारचनाएं भी प्रस्तुत प्रकाशनमें दी है, जिनका परिचय ग्रंथकी अनुक्रमणिका देखनेसे होगा ।
हमारे श्रद्धेय स्वर्गस्थ पूज्यपाद साध्वीजी महाराज श्री १००८ श्रीवसन्तश्रीजी महाराजकी पुण्यस्मृतिमें प्रकाशित यह ग्रंथ में इस निवेदनको साथ ही उनका संक्षिप्त परिचय दिया है, उसे पाठकगण अवश्य पढ़ें, जिसे अनुमोदना आदिका महान् लाभ हो ।
मुद्रणशुद्धि में बराबर ध्यान रखने पर भी अनवधान और दृष्टिदोषादिसे जो क्षतियां रह गई हो उनको सुधार कर पढनेके लिए पाठकगणको “मिच्छामि दुक्कडं " पुरस्सर प्रार्थना है ।
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निवेदिका
विचारश्री
तथा
दमयन्तीश्री
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