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(६१) हु ले साज ॥ कु० ॥ १० ॥ २०॥ कु० ॥ वाणार सी नयरी तणी हो लाल, लशकर साथे अखूट ॥ कु० ॥ अखंम प्रयाणे वाटमा हो लाल, चलि आव्यो चित्रकूट ॥ कु० ॥ ११ ॥ २० ॥ कु । म हासेन राजा सांजल्यो हो लाल, उत्तम चरित्र नरिं द ॥ कु० ॥ श्राव्यो डे सामो जय हो लाल,मलिये मन धानंद ॥कु॥१२॥व० ॥ कु० ॥ कटक सुनट शुं जय मल्यो हो लाल, थाव्या नगर मकार ॥ कुछ ॥ ढाल था पञ्चवीशमी हो लाल, कहे जिनहर्ष वि चार ॥ कु० ॥ १३ ॥ व ॥ सर्वगाथा ॥ ५० ॥
॥दोहा॥ ॥ माहासेन देतयं मल्यो, कर जोडी कहे एम ॥ मित्र नलें पान धारिया, वर्ते ने सुख खेम ॥१॥ तुम सुपसायें कुशल , आव्यो मलवा काज ॥क पाकर मुज नपरें, माहाराजा ल्यो राज ॥ ॥ मेह तणी परें ताहरी,निश दिन जोतो वाट ॥ मुज पुरस्में तुं यावियो, बाज थया गहगाट ॥ ३ ॥ उत्तमचरित्र नरिंदने, राजा दे राज ॥ पोतें संयम थादस्यो,सा खां धातमकाज ॥ ४ ॥ केटला एक दिन तिहां र ह्यो, मलवाने मेदपाट ॥ आण मनावी अापणी,
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