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(६०) बुं राजकु॥ तुंकुलदीपक सेहरो हो लाल,तुं सहुनो शिरताज॥कु० ॥३॥वण॥ ॥ जो चाहे सुख मो न णी हो लाल, वांछे मुज कल्याण ॥ कु० ॥ तो वहे लो थावे यहां हो लाल,टाढां होय मुज प्राण ॥कुछ ॥३॥व०॥कु० ॥ नाग्यवंत तुं दीकरो हो लाल, पिन यवंत गुणवंत ॥ कु० ॥ मावित्रांने मूकीने हो लाल, बेठो जश्य निचिंत ॥ कु० ॥ ५ ॥व० ॥ कु० ॥रा ज्य सयुं अमें सांजल्युं हो लाल,मोटपल्ली वेलाकुल ॥ कु०॥ मनमा रलियायत थ हो लाल, नाग्य थ { अनुकूल ॥ कु० ॥ ६ ॥ व ॥ कु० ॥ तुजने झुं लखियें घणुं हो लाल, तुं सदु वार्ते जाण ॥ कु० ॥ थोडामां समजे घणुं हो लाल, याव्या तणां वखा ए ॥ कु० ॥ ७॥ व०॥ कु० ॥ हैयुं नराणुं हरख गुं हो लाल, वांची सदु समाचार ॥ कु० ॥ ततद ए बूटी लोयरों हो लाल, यांसू केरी धार । कु० ॥ ॥ ॥ व० ॥ कु० ॥ बाप नणी मुःख में दियो हो लाल, हुं थयो पुत्त कपुत्त ॥ कु॥ खाये हियडुं फो लोने हो लाल, माय तणो जिम लूत्त ॥ कुछ ॥ ए ॥ व०॥कु॥मंत्रीसर परधानने हो लाल,राय नलावी रा ज।कुणानारी चार निज सैन्यगुं हो लाल,चाल्यो स
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