________________
(६२) लाट नोट करणाट ॥ ५॥ कामदार पोता तणा, में ल्ही चल्यो नेपाल ॥ थाव्यो गोपाचनगिरें, केवी के रो काल ॥ ६ ॥ वीरसेन राजा थयो, कटकतणी सु गोशात॥ चार पदोयणी सैन्यगुं,परवरियो सुप्रनात ॥ ७॥ सीमा यावी उतस्यो, मूक्यो सन्मुख दूत ॥दू त कयुं मत बावजे, जो थाये रजपूत ॥ ॥ जो कांकल करवा मते,राखे जो रजवट्ट॥तो वहेलो थवा वजे, थाशे बहु खलखट्ट॥ ए॥ ॥ ढाल बबीशमी ॥ मुज लाज वधारो रे, तो राज प
धारो रे॥ ए देशी ॥ ॥सुणि वयण विचित्रो रे,ए तो थयो शत्रो रे,हवे उत्तमचरित्रो,यु६ करण चढ्यो रे ॥ बे लशकर मती या रे, मांहो मांहे थडियां रे, सदु सुनट आफलि या, कांकल कपडयो रे ॥ १ ॥रण घोर मंमाणुं रे, जाय न बंमाणुं रे, उखाणो खोजा पाडा, जैसा था थडे रे ॥ शर चिढुं दिशि लूटे रे, बगतर कस तूटे रे, वचे नाल वढूटे, धरती धडहडे रे ॥ २॥ हथनाल हवाइ रे, थावाज मचा रे, बचें यावी बरबीना घा व,लागे घणारे॥सूरा एक फूफे रे,गयघड आलू रे, रवि सूफे नही, अंधारूं बिहामणुं रे ॥ ३॥ घणा रो
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org