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(५३) काल॥ सदुने अचरिज उपन्यु जी, थयो प्रमोद विशा ल ॥४॥ न० ॥ दरखी कुमरी मदालसा जी, नय ऐ नाह निहाल ॥पाम्यो हर्ष त्रिलोचना जी, विर हामि ख टाल ॥ ५॥ न० ॥ परणावी बहु प्रेम शुं जी, शेतमहेश्वरदत्त,सहस्रकला निज कन्यका जी॥ खरची बदुखं वित्त ॥ ६॥ न० ॥ तीन नारी पुण्ये म लीजी,सुरकन्या अवतार ॥अनंगसेना चोथी थइ जी, रूपतणो नंमार ॥ ७ ॥ न ॥राजा तेडी धारामिकी जी,तेहने दीधी मार ॥ फूलमांहि नलिका धस्यो जी,पू यो सर्प विचार ॥॥ न० ॥ मालिनी कहे राजन सु णो जी,तुम पागल कहुं साच॥समुदत्त व्यवहारियो जी, खोटो जेहवो काच ॥ ए ॥ न०॥ तेणें पापी मु जने कह्यु जी,देश तुज दीनार ॥ परखीने तुज पांच शें जी, कुमर नणी तुं मार ॥ १० ॥न ॥ लोने मुज सदए गयां जी, में की, ए काज ॥ पानी मति दुवे नारिने जी, केहनी नाणे लाज ॥११॥ न० ॥ राजा रोषातुर थयो जी,मारो पापी तेह ॥मालीप ए मारो जजी, दुकुम दियो नृप एह ॥१२॥नाते लेइ मारण निसयाजी, केहनी नाणे लाज ॥ करे राय ने विनति जी, मकरध्वजनो पूत ॥ १३॥ न॥ होण
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