________________
( RR )
ए किहांथी लाग ॥ १० ॥ पु० ॥ तेण पुरुष कौतुक ने काज, राय कन्हें आल्यो शुकराज ॥ पु० ॥ रायस ना पूराणी घणुं, लोक सदु धाव्यं पुरतपुं ॥ ११ ॥ ॥ पु० ॥ मदालसा घाणी इहां राय, त्रिलोचना प रियचमां वाय ॥ ० ॥ हुं ज्ञानी सघले विख्यात, तीन कालनी जाएं वात ॥ १२ ॥ पु० ॥ राजा तिम हिज कीधुं सडु, नगर लोक मलियां तिहां बहु ॥ ॥ पु० ॥ बेठो सिंहासन नूपाल, कहे जिनदर्ष घढार मी ढाल ॥ १३ ॥ पु० ॥ सर्व गाथा ॥ ३६२ ॥ ॥ दोहा ॥
॥ जूत नविष्यत कालनी, केम कदेशे ए वात ॥ ज्ञा न किहांथी एहमां, पशु तणी ए जात ॥ १ ॥ राजा कोने थाप, पंखीने केम राज, राज्यपशु केम पाल शे, यचरिज थाशे धाज || २ || कोइक वे ए देवता, कीधुं बे ए रूप ॥ नहीं तो पोपट पंखियो, जाणे कि स्वरूप ॥३॥ पहेली नारी मदालसा, तेहनोकहुं प्रबंध || सावधान थइ सांनलो, सकल कटुंसंबंध ॥ ४ ॥ ॥ ढाल उगणीशमी ॥ वात मका ढो दो व्रत तणी ॥ ए देशी ॥
॥ वारु नगर वाणारसी, मकरध्वज नूपालो रे ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org