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(१ ) धर नर राजवी, सेवा करशे तास लाल रे ॥ १३ ॥ ॥ कौ० ॥ वयण सुणीने तेहनां, खेद लह्यो नूपाल लाल रे ॥ कहे जिनहर्ष किश्युं दुश्ये, हाहा सात मी ढाल लाल रे ॥ १४ ॥ कौ०॥सर्वगाथा ॥१५॥
॥दोहा॥
॥ नूचरपुत्री परणशे, कन्या देवकुमार ॥ खेचर इयुं खूटी गया, एहवो करी विचार ॥ १ ॥ समुहमा हे पर्वत शिखर, कूपमाहे करी बार ॥ मोहोटो महे ल रच्यो इहां, कोई न जाणे सार ॥ २ ॥ कन्याने राखो इहां,राखी मुज रखवाल॥ पंचरतन कुमरीनणी, दीधां नूपाल ॥३॥ दुं दासी बु तेहना, चमरके तु लंकेश ॥ धनधान्यादिक मोकले, कूपवाट सुविशे ष॥ ४ ॥ कूषामांहे पडण नय, जाली कनक बणा य ॥ जतन करी राखी शहां,नूचर केम परणाय॥५॥ ॥ ढाल ठमी॥ जोहो मिथिला नगरीनो राजियो॥
॥ए देशी। ॥ जोहो एकदिन अपर निमित्तीयो, जोहो पूजे रा दत तास ॥ जीहो कहेने मुज कन्या तणो, जोहो कोण वर थाशे नास ॥१॥संकापति पूजे तास विचार ॥ ए बांकए। ॥ जोहो पूरवली परें तेणें का,
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