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1990
18. प्राचीन जैन साहित्य में आर्थिक जीवन पा.वि. वाराणसी
1988 19./जैन साहित्य के विविध आयाम, भाग-1 पा.वि. वाराणसी 20/जैन साहित्य के विविध आयाम, भाग-2 |पा.वि. वाराणसी 21. जैन साहित्य के विविध आयाम, भाग-3 पा.वि. वाराणसी 22/जिनचन्द्रसूरि काव्यांजलि ।
पा.वि. वाराणसी
1989 23. जैनधर्म की प्रमुख साध्वियां
पा.वि. वाराणसी
1990 24मध्यकालीन राजस्थान में जैनधर्म पा.वि. वाराणसी
1992 25. जैन प्रतिमा विज्ञान
पा.वि. वाराणसी
1985 26. जैनतीर्थों का ऐतिहासिक अध्ययन पा.वि. वाराणसी
1991 27.मानव जीवन और उसके मूल्य । पा.वि. वाराणसी
1990 28. जैन मेघदूत
पा.वि. वाराणसी
1989 29. जैनकर्म सिद्धान्त का उद्भव एवं विकास पा.वि. वाराणसी
1993 30. Theory of Realty in Jaina Philosophy,
PVRI, 1991 31. Concept of Matter in Jaina Philosophy,
|PVRI, 1987 32. Jaina Epistemology, PVRI, 1990 33./The Concept of Panchasheel in Indian
Thought, PVRI, 1983 34. The Path of Arhat, PVRI, 1993 35. Jaina Perspective in Philosophy &
Religion, PVRI, 1983 36. Aspect of Jainology, VOL. I, PVRI, 1987 37. Aspect of Jainology, VOL. II, PVRI, 1987 38. Aspect of Jainology, VOL. III, PVRI, 199 39. Aspect of Jainology, VOL. IV, PVRI, 1993 40. Aspect of Jainology, VOL.V, PVRI, 1987 41. Samana Suttam, Sarva Seva Sangh
Prakashan, Varanasi, 1993 42. Ishibhasiyayim, PVRI, Varanasi
& Prakrit Bharti, Jaipur 43. उपासकदशा में वर्णित श्रावकाचार, आ.अ.स.प्रा.संस्थान, उदयपुर |1987 44. जैनधर्म के सम्प्रदाय
आ.अ.स.प्रा.संस्थान, उदयपुर |1994 45, नेमिदूत
| पा.वि. वाराणसी
| 1994
डॉ. सागरमल जैन - एक परिचय : 43
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