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63 जैन, बौद्ध और औपनिषदिक ऋषियों के सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि.
उपदेशों का प्राचीनतम संकलनःऋषिभाषित वाराणसी
(210821) 64 जैन, बौद्ध और गीतादर्शन में मोक्ष का राजेन्द्रसूरी जन्म शताब्दी ग्रन्थ
स्वरूपः एक तुलनात्मक अध्ययन (210822) 65 जैन वाक्य दर्शन (210854)
सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि.
वाराणसी 66 जैन अध्यात्मवाद : आधुनिक संदर्भ में । | श्रमण, अगस्त 1983 67 जैन शिक्षादर्शन (210876)
सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि.
| वाराणसी 68 जैन कर्मसिद्धान्त : एक विश्लेषण
श्रमण, 1994 69 जैन साधना और ध्यान (210911) महासती द्वय स्मृति ग्रन्थ, 70 जैनसाधना का आधार सम्यग्दर्शन(210914) सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि.
वाराणसी 71 जैनसाधना के मनोवैज्ञानिक आधार (210918) सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि.
| वाराणसी 72 जैनसाधना में प्रणव का स्थान (210926) सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि.
| वाराणसी 73 जैनसाधना का त्रिविध साधना मार्ग (210971) नानचन्दजी जन्म शताब्दी स्मृति ग्रन्थ, 74 जैनदर्शन में सत् का स्वरूप (210983) | सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि.
वाराणसी 75 जैनधर्म का लेश्या सिद्धान्तः एक सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि.
मनोवैज्ञानिक विमर्श (211000) वाराणसी 76 जैनधर्म के मूल तत्त्व (211003) सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि.
वाराणसी 77 जैनधर्म में अहिंसा की अवधारणाः एक सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. विश्लेषण (211010)
वाराणसी 78 जैनधर्म में तीर्थ की अवधारणा (211015) | सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि.
वाराणसी 79 जैनधर्म में नैतिक और धार्मिक कर्तव्यता | सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. का स्वरूप (211017)
वाराणसी
डॉ. सागरमल जैन - एक परिचय : 30
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