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उपलब्ध हुए। न केवल आपके अनेक आलेख पुरस्कृत हुए, अपितु आपके शोध-ग्रन्थ जैन, बौद्ध और गीता के आचारों का तुलनात्मक अध्ययन, भाग-1 एवं भाग-2 को प्रदीपकुमार रामपुरिया पुरस्कार से तथा जैन भाषादर्शन को स्वामी प्रणवानन्द दर्शन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। आपको प्राप्त सम्मानों की सूची बड़ी लम्बी है। इसे अलग से दिया जा रहा है।
डॉ. सागरमल जैन पार्श्वनाथ शोधपीठ, वाराणसी के निदेशक तो रहे ही, उसके साथ-साथ वे जैन-विद्या की अनेक संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं। वे आगम, अहिंसा, समता और प्राकृत संस्थान, उदयपुर के भी मानद निदेशक रहे हैं, जहाँ आपके मार्गदर्शन में प्रकीर्णक साहित्य का अनुवाद का कार्य हुआ है। अ.भा. जैन विद्वत् परिषद् के तो आप संस्थापक रहे हैं, वर्षों तक आप इसके उपाध्यक्ष रहे हैं। जैन-विद्या के क्षेत्र में जब और जहाँ कहीं भी कोई योजना बनती है, मार्ग-निर्देशन हेतु आपका स्मरण अवश्य किया जाता है। वस्तुतः, आप विद्वान् तो हैं ही, किन्तु एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। आपके द्वारा राष्ट्रीय स्तर की अनेक कान्फ्रेंसो और संगोष्ठियों का सफलतापूर्वक आयोजन हुआ है। जैनधर्म के आचार्यों एवं साधु-साध्वियों ने विपुल संख्या में आपसे अध्ययन एवं शोधकार्य किया है, उनकी संख्या 300 से अधिक ही है। देश-विदेश की यात्रा
देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों ने और जैन संस्थाओं ने आपके व्याख्यानों का आयोजन किया। बम्बई, कलकत्ता, मद्रास, अहमदाबाद, पाटण, उदयपुर, जोधपुर, दिल्ली उज्जैन, इन्दौर आदि अनेक नगरों में आपके व्याख्यान आयोजित किये जाते रहे हैं, साथ ही आप विभिन्न विश्वविद्यालयों में विषय-विशेषज्ञ के रूप में भी आमन्त्रित किये जाते रहे हैं। यही नहीं, आपको एसोशिएशन आफ वर्ल्ड रिलीजन्स 1985 में तथा पार्लियामेन्ट आफ वर्ल्ड रिलीजन्स 1993 में जैन धर्म के प्रतिनिधि वक्ता के रूप में अमेरिका में आमन्त्रित किया गया। पार्लियामेन्ट आफ वर्ल्ड रिलीजन्स के अवसर पर न केवल आपने वहाँ अपना निबन्ध प्रस्तुत किया, अपितु अमेरिका के विभिन्न नगरों-शिकागो, न्यूयार्क, राले, वाशिंगटन, सेनफ्राँसिस्को, लासएन्जिल्स, फिनिक्स आदि में जैनधर्म के विविध पक्षों पर व्याख्यान भी दिये। इस प्रकार, जैनधर्म-दर्शन और साहित्य के अधिकृत विद्वान् के रूप में आपका यश देश एवं विदेश में प्रसारित हुआ। सन् 1995 से 2000 तक आपको अनेक बार यू.एस.ए. अमेरिका में पर्युषण व्याख्यान के लिए आमन्त्रित किया गया। मार्च 2009 में आपको लन्दन विश्वविद्यालय में जैनयोग पर व्याख्यान हेतु आमन्त्रित
डॉ. सागरमल जैन - एक परिचय : 13
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