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प्राचारांग सूत्र
जो जन्मदर्शी है, वही मृत्युदर्शी है; जो मृत्युदर्शी है, वही नरकदर्शी है; जो नरकदर्शी है, वही तिर्यंचदर्शी है; जो तिर्यचदी है, वही दुःखदर्शी है। इस लिये बुद्धिमान मनुष्य क्रोध, मान, माया, लोभ, राग, द्वेष और मोह को दूर करके गर्भ, जन्म, मृत्यु, नरक और नियंचगति के दुःख दूर करे, ऐसा हिंसा को त्याग कर संसार का अन्त कर चुकने वाले दृष्टा कहते हैं।
संक्षेप में नये कर्मों को रोकने वाला ही पूर्व के कर्मों का नाश कर सकता है । दृष्टा (सत्य को जानने और मानने वाले) को कोई उपाधि नहीं होती । [ १२५ ]
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