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________________ १६. संक्षिप्त पंचपरमेष्ठि नमस्कार नमोऽर्हत्-सिद्धाचार्योपाध्याय - सर्वसाधुभ्यः । भावार्थ श्री अरिहंतों को, श्री सिद्धों को, श्री आचार्यों को, श्री उपाध्यायों को तथा सब साधुओं को मैं नमस्कार करता हूँ । सूत्र परिचय · यह नवकार मंत्र का संक्षिप्त सूत्र है। पंचप्रतिक्रमण के सूत्रों में प्राय: संभवतः यही सूत्र सर्वप्रथम संस्कृत भाषा में रचा गया है । इस सूत्र की रचना श्री सिद्धसेन दिवाकर सूरिजी ने की थी । संस्कृत को शिष्ट भाषा मानकर आगमों को संस्कृत में परिवर्तन करने की इच्छा से सबसे पहले उन्होंने इस सूत्र की रचना की । परन्तु इसके निमित्त उन को कठोर प्रायश्चित्त करना पड़ा था । Jain Education International १७. उवसग्गहरं स्तवन (स्तोत्र ) उवसग्गहरं पासं, पासं वंदामि कम्म - घण- मुक्कं, विसहर - विस- निन्नासं, मंगल-कल्लांण- आवासं ॥ १ ॥ विसहर - फुलिंग-मंतं, कंठे धारेइ जो सया मणुओ, तस्स-ग्गह-रोग-मारी दुट्ठजरा जंति उवसामं ॥ २ ॥ ८० For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003232
Book TitleAradhana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvanbhanusuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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