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लेने के लिए इस सूत्र का उपयोग होता है। जैसे नवकार मंत्र एक श्रेष्ठ मंत्र है, उसी प्रकार सामायिक एक श्रेष्ठ योग है। इससे सब जीवों को अभयदान देने का महान लाभ होता है, उपरांत असत्यादि पापप्रवृत्तियों का प्रतिज्ञाबद्ध त्याग होता है।
१०. सामाइयवय-जुत्तो सूत्र सामाइयवय-जुत्तो, जाव मणे होइ नियम-संजुत्तो, छिन्नइ असुहं कम्म सामाइय जत्तिआ वारा ॥ १ ॥ सामाइअम्मि उ कए, समणो इव सावओ हवइ जम्हा, एएण कारणेणं,
बहुसो सामाइयं कुज्जा ॥ २ ॥ सामायिक विधि से लिया, विधि से पारा, विधि करते हुए जो कोई अविधि हुई हो उस सबका मन, वचन काया से मिच्छामि दुक्कडं।
दस मन के, दस वचन के, बारह काया के, इन ३२ दोषों में यदि कोई दोष लगा हो, तो उसका मन, वचन, काया से मिच्छामि दुक्कडं।
| शब्दार्थ | सामाइयवयजुतो - सामायिक व्रत से युक्त जाव मणे होइ - जब तक मन हो
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