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की गई है। ____ अंतिम गाथा सिद्ध भगवंतों की अनुपम निर्मलता, प्रकाशकता, व गंभीरता की प्रशंसा करके सिद्धि यानी मोक्ष की अभ्यर्थना की गई है। यह सूत्र अत्यन्त प्रभावशाली है।
सामायिक सावद्यकर्ममुक्तस्य दुर्ध्यानरहितस्य च । समभावे मुहूर्तं तद् व्रतं सामायिकं मतम् ॥
(मानसिक वाचिक-कायिक) पापप्रवृत्तियों से अलिप्त तथा दुर्ध्यान से रहित आत्मा का एक मुहूर्तपर्यंत जो समभाव है, उसको प्राप्त कराने वाले व्यापार का नाम है सामायिक व्रत ।
[आवश्यक सूत्र टीका जो कोई मोक्ष गये, जाते हैं, और जायेंगे, वे सभी सामायिक की महिमा से ही गए, जाते हैं और जायेंगे, ऐसा समझना चाहिए।
[संबोध प्रकरण
सामायिक का फल दो घड़ी (४८ मिनिट) समपरिणामकारी सामायिक करनेवाला श्रावक ९२ करोड़, ५९ लाख, २५ हजार, ९२५३/८ नौ सो पच्चीस तथा ३/८ (९२ ५९ २५ ९२५३/८) पल्योपम वर्ष का देवभव का पुण्य बांधता है।
सामायिक का महत्त्व सामायिक एक व्रत है। इसे लेने की विधि है। सर्वज्ञ भगवान् का कथन है कि जो आत्मा संयम, नियम और तप
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