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४ 'सुखसंजम जात्रा निर्वहो छोजी?'-आपकी संयम यात्रा
अर्थात् चारित्र-पालन सुखपूर्वक चल रहा है? 'स्वामि ! शाता छेजी'?-हे स्वामिन् ! सब प्रकार से आप को सुख-शांति है?
आहारपानी का लाभ देनाजी-कृपया मुझे गोचरी = आहार, पानी, वस्त्र, पात्र, औषध आदि का लाभ देनाजी ।
भावार्थ तथा सूत्र--परिचय 'गुरु को सुखशाता--पृच्छा :'
इस सूत्र द्वारा त्यागी गुरुमहाराज की साधना तथा शरीर को सुखरूपता के साथ साथ सर्वाङ्गीण सुखशाता पूछी जाती है। उन्हें यह भी विनंती की जाती है कि वे हमारे घर पदार्पणकर आहार-पानी ग्रहण करें। अत: इस सूत्र का अपर नाम 'सुगुरु सुखशाता पृच्छा सूत्र' है। एक अन्य नाम 'गुरु-- निमन्त्रण सूत्र' भी है। ____ इसमें 'इच्छकार' (अर्थात् 'इच्छाकार) पद से, गुरु से जब पृच्छा करनी है तो पृच्छा के लिए, गुरु की इच्छा जाननी चाहिए। तत्पश्चात् पृच्छा की जाए। इस प्रकार इच्छा पूछने को 'इच्छाकार सामाचारी (आचार)' कहते हैं।
हे गुरुदेव ! आपकी आज्ञा-इच्छा हो तो पूछू कि -- - १. आपकी गतरात सुख पूर्वक व्यतीत हुई ? आपका दिवस सुखपूर्वक बीता? [प्रात: १२ बजे तक पूछा जाए तो 'सुहराई' कहना चाहिए। तत्पश्चात् पूछना हो तो 'सुहदेवसि' कहना चाहिए। इस प्रकार के पाँच प्रश्न हैं । (२) दूसरा प्रश्न
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