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शब्दार्थ
तथा
गुत्ति
पंचिंदिय पांच इन्द्रियों को संवरणो ढकनेवाले, वश करनेवाले तह नवविह नौ प्रकार की बंभचेर
ब्रह्मचर्य की
गुप्ति या वाड धरो
धारण करने वाले चउव्विह चार प्रकार के कसाय
कषायों (क्रोध, मान, माया, लोभ) से मुक्को - - मुक्त इअ
- इस प्रकार के अट्ठारस गुणेहिं - अठारह गुणों से संजुत्तो - संयुक्त पंचमहव्वयजुत्तो- पांच महाव्रत से युक्त पंचविहायार पालण समत्थो - पांच प्रकार के आचार के
पालन में क्षम पंचसमिओ - पांच समिति के धारक तिगुत्तो - तीन गुप्ति के धारक छत्तीस गुणो - इन ३६ गुणोंवाले गुरु मज्झ - मेरे गुरु हैं।
भावार्थ पांच इन्द्रियों के विषयों को वश में करने वाले, नौ प्रकार
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