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(२) श्री आदीश्वर, शान्ति, नेमिजिनने, श्री पार्श्व, वीर प्रभु ए पांचे जिनराज आज प्रणमुं, हेते धरीने विभो । कल्याणे कमला सदैव विमला बुद्धि पमाडो अति, एवा गौतम स्वामी लब्धि भरिया, आपो सदा सन्मति ॥
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(३)
आव्यो शरणे तुमारा जिनवर करजो, आश पूरी अमारी, नाव्यों भवपार मारो, तुम विण जगमां, सार ले कोण मारी । गायो जिनराज आजे हरख अधिकथी परम आनन्दकारी, पायो तुम दर्श, नासे भवभव - भ्रमणा, नाथ ! सर्वे हमारी ॥ (४) ताराथी न समर्थ अन्य दीननो, उद्धारनारो प्रभु, माराथी नहि अन्य पात्र जगमां, जोतां जडे हे विभु । मुक्तिमंगल स्थान ! तो य मुजने, इच्छा न लक्ष्मी तणी, आपो सम्यगुल श्याम जीवने, तो तृप्ति थाये घणी ॥ (4) हे प्रभो आनन्ददाता, ज्ञान हमको दीजिए, शीघ्र सारे दुर्गुणों को, दूर हम से कीजिए । लीजिए हमको शरण में, हम सदाचारी बनें, ब्रह्मचारी धर्मरक्षक, वीरव्रतधारी बनें ॥
(६)
वीतराग हे जिनराज ! तुज पद-पद्मसेवा मुज होजो, भवभव विषे अनिमेष नयने आपनुं दर्शन थजो । हे दयासिंधु विश्वबंधु दिव्य दृष्टि आपजो, करी आपसम सेवक तणा संसार बंधन कापजो ॥
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