________________
सारे जगत् का कल्याण हो, प्राणीगण दूसरों के हित करने में तत्पर रहें, दोषों का नाश हो, सर्वत्र सभी जीव सुखी हों।
क्षमापना खामेमि सव्वजीवे, सब्बे जीवा खमंत मे। मित्ती मे सव्वभूएस वेरं मज्झ न केणइ॥ ____ मैं सब जीवों से क्षमा मांगता हूं, समस्त जीव मुझे क्षमा प्रदान करें। प्राणीमात्र के साथ मेरी मैत्री है। किसी के साथ मेरा वैरभाव नहीं। उपसर्गाः क्षयं यान्ति, छिद्यन्ते विघ्नवल्लयः। मनः प्रसन्नतामेति, पूज्यमाने जिनेश्वरे॥
जैनशासन की अनुमोदना सर्व मङ्गल माङ्गल्यं, सर्व कल्याण कारणं, प्रधानं सर्व धर्माणां, जैन जयति शासनम्।
सर्व मंगलो में माङ्गल्यरूप, सर्व कल्याणों का कारण,
समस्त धमों में प्रधान (ऐसा) जैनशासन जयवन्ता वर्तता हैं। (विजयी हुआ रहा है।)
प्रभु के सन्मुख बोलने योग्य स्तुतियाँ
पूर्णानन्दमयं महोदयमयं कैवल्यचिद्डमयं, रूपातीतमयं स्वरूप-रमणं स्वाभाविक-श्रीमयं । ज्ञानोद्योतमयं कृपारसमयं स्याद्वाद-विद्यालयं, श्री सिद्धाचल-तीर्थराजमनिशं वन्देऽहमादीश्वरम्
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org