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अनंत शक्तियां अपने २ कालादि निमित्तांके मिलने से प्रगट होती है, और इस जगतमें जो रचना पीछे हुइ है, और जो हो रही है, और जो होवेगी, सर्व पांच निमित्त उपादान कारणों से होती है, वे कारण येह है, काल १ स्वभाव २ नियति ३ कर्म ४ उद्यम ५, इन पांचोके सिवाय अन्य कोई इस जगतका कर्ता और नियंता ईश्वर किसी प्रमाण से सिद्ध नही होता है, तिसकी सिद्धीका खंडन पूर्वे पहिले सब लिख आए है, जैसे एक बीज में अनंत शक्तियां है, वृक्ष जितने रंग विरंगे मूल १ कंद २ स्कंध ३ त्वचा ४ शाखा ५ प्रवाल ६ पत्र ७ पुष्प ८ फल ९ बीज १० प्रमुख विचित्र रचना मालुम होती है, सो सर्व बीजमें शक्ति रूपसें रहती है, जब कोई बीजको जलाके भस्म करे तब तिस बिजके परमाणुयोमें पूर्वोक्त सर्व शक्तियां रहती है, परंतु विना निमित्त के कभी शक्ति प्रगट नही होती है, जेकर बीज में शक्तियां न मानीये तबतो गेहूंके बीजसें आंब और बंबूल मनुष्य, पशु, पक्षी आदिभी उत्पन्न होने चाहिये. इस वास्ते सर्व वस्तुयोंमे अपनी २ अनंत शक्तियां है. जैसा २ निमित्त मिलता है तैसी २ शक्ति वस्तु में प्रगट होती है, जैसे बीज कोठिमें पड़ा है तिसमें वृक्षके सर्व अवयवों के होने की शक्तियां है, परंतु बीज के काल विना अंकुर नही हो सकता है, कालतो सृष्टि भुक्ता है, परंतु भूमि और जलके संयोग विना अंकुर नही हो सकता है, काल भूमि जलतो मिले हे परंतु विना स्वभावके कंकर बोवेतो अंकुर नही होवे है. बीजका स्वभाव १ काल २ भूमि ३ जलादितो मिले है, परंतु बीजमे जो तथा तथा भवन अर्थात् होनेवाली अनादि नियतिके विना बीज तैसा लंबा चौडा अंकुर निर्विघ्नसें नही दे सकता है, जो निर्विघ्नपणे तथा तथा रूप कार्यको निष्पन्न करे सो नियति, और जेकर वनस्पतिके जीवोंने पूर्व जन्ममें ऐसे कर्म न करे होते तो वनस्पतिमे उत्पन्न न होते, जेकर बोनेवाला न होवे तथा बीज स्वयं अपने भारीपणे करके पृथ्वीमें न पकेतो कदापि अंकुर उत्पन्न न होवे, इस वास्ते बीजाकुंरकी उत्पत्तिमें पांच कारण है, काल १ स्वभाव २ नियति ३ पूर्वकर्म ४ उद्यम ५ इन पांचोके सिवाय अन्य कोई अंकुर उत्पन्न करनेवाला कोई ईश्वर नही सिद्ध होता है, तथा मनुष्य गर्भमें उत्पन्न होता है तहांभी पांच करण से ही होता है, गर्भ धारणे के कालमें ही गर्भ रहै १, गर्भकी जगाका स्वभाव गर्भ धारण का होवे तो ही गर्भ धारण करे २, गर्भका तथा तथा निर्विघ्नपनेसें होना नियतिसें है ३, जीवोंने पूर्व जन्ममें मनुष्य होने के कर्म करे है तोही मनुष्यपणे उत्पन्न
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