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संबंधी “पाँव पर पाँव चढ़ाना, पाँव पसारना'' इत्यादि ३३ आशातनाओं का वर्जन करते हुए उपस्थित श्रोताओं को भी नमन कर बैठे और धर्मदेशना सुनें । गुरुवंदन और धर्मश्रवण से लाभ
गुरुवंदन से - (१) विनय गुण की प्राप्ति, (२) अहंकार का नाश, (३) गुरु-पूजा, (४) प्रभु-आज्ञा का पालन, (५) श्रुतधर्म की उपासना और (६) मोक्ष की प्राप्ति होती है। ____धर्मदेशना सुनने से - (१) कर्त्तव्यों का भान, (२) पालन में उत्कर्ष की प्राप्ति, (३) दुर्बुद्धि का त्याग, (४) वैराग्य की प्राप्ति, (५) तुच्छ भोगसुख का त्याग, (६) अहिंसा, सत्य और तप से काम-क्रोधादि का समूल नाश और (७) सदा के लिए मुक्ति की प्राप्ति होती है ।
इस प्रकार धर्मदेशना सुनने के बाद साध्वीजी को भी अवश्य सुख-शाता पूछे । तत्पश्चात् सुपात्रदान कर विधिपूर्वक भोजन करें |
भोजन-विधि साधु भगवन्तों को विधिपूर्वक बहोरावें एवं साधर्मिक भाई को आमन्त्रण देकर साथ बैठकर सकुटुम्ब भोजन करें | भोजन में भक्ष्याभक्ष्य का विवेक रखें तथा अत्यन्त आसक्ति का त्याग करें । भोजन करते समय मौन रखें । कहा भी है - ‘भोजन, मैथुन, स्नान, वमन, दातुन और मल-मूत्र के अवसर पर मौन रखें।' भोजन के समय द्वार पर आये हुए दीन याचकों की उपेक्षा न करें, किन्तु यथायोग्य दान देवें। भोजन में ज्यादा समय न लगावें । विवेकी को चलते-फिरते पान-सुपारी भी नहीं खानी चाहिए |
थकान, रोग, ग्रीष्म ऋतु आदि विशिष्ट कारण के बिना भोजन के बाद दिन में न सोवें । दिन में सोने से व्याधि की सम्भावना रहती है।
भोजन करने के पश्चात् अपने-अपने योग्य स्थानों में धर्म को बाधा न पहुँचे इस तरह धन कमाने जावें | धन कमाने में औचित्यपालन के साथ-साथ नीचे की बातों का खास ख्याल रखें, जिससे सफलता एवं उज्ज्वल यश की प्राप्ति हो सके |
धन कमाने में सावधानियाँ
(१) उधार न देवें । देना ही पड़े तो साधर्मिक और सत्यवादी से व्यवहार रखे । (२) धन-समृद्धि में गर्व न करें । किसी से टंटा-फिसाद न करें । धन-हानि में दीन न बनें । किन्तु धर्म करणी ज्यादा करें । एवं किसी भाग्यशाली का साथ-सहयोग प्राप्त करें । (३) लेने की रकम लम्बे समय तक न खीचें किन्तु धर्मादा कर दें । वसूली में कठोरता
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