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थोडी दूरी पर एक एक है। देखो, भवितव्यता क्या घाट गढ़ती है। एक क्षण बाद के भावी में क्या है सो भी हम भाँप नहीं सकते; फिर भी आपमति या मूढ़तावश ऐसे उलटे ढंग अपनाते हैं कि क्षण भर बाद उनके अति दुःखद, विषम परिणाम आ खड़े होते हैं । यहाँ मानभट आपमति या अभिमान में और पीछे के तीन मूढ़ता में कैसे भयंकर अनर्थों का निर्माण करते हैं, यह देखिये।
गाँव के बाहर मानभट क्या करता है?
पहला आगे जाता हुआ मानभट कोई सीधा सीधा तो भाग नहीं जाता। उसे भी देखना है कि पीछे पत्नी क्या करती है ? अतः उसने भी कान तो सावधान रखे हैं । रात्रि शान्त है । अत: पीछे तेजी से आती हुई पत्नी के पैरों की आहट दूर से भी सुनाई देती है। अब वह गाँव के बाहर निकलने के बाद एक कुएँ के पास पहुँचा। वहाँ पीछे मुड़कर देखा तो पनी आती दिखाई दी।
अब पत्नी का स्नेह कितना है ? यह परीक्षा करने की उसे इच्छा हुई। सोचा 'मैंने इसके पैरों पर सिर रख कर अनुनय-विनय किया फिर भी यह नहीं मानी । तो अब देखू कि इसे मुझ पर कोई प्रेम है भी सही? और है तो कितना?' यह विचार करके उसने एक बड़ा पत्थर उठा कर कुएँ में डाला, और यह देखने के लिए कि पत्नी यहाँ आकर क्या करती है, खुद तुरन्त एक पेड़ की आड़ में छिप कर खड़ा हो गया।
अनजाने में कर लेश्या :
यह एक जहरीला प्रयोग है। ऐसा करने के पीछे क्रूर लेश्या काम कर रही है, यह बात वह नहीं समझ पाता। क्योंकि कुएँ में पत्थर डाल कर क्या करने की धारणा है ? यही न कि 'पत्नी को ऐसा आभास कराया जाय कि पति ने कुएँ में छलांग लगायी है। और बाद में खुद भयंकर दुःख में जले और कुछ का कुछ करे। यह कितनी क्रूर लेश्या है? स्नेह की परीक्षा करने के लिए ही न ऐसा ? तो क्या यह जीवन जीने में उपयोगी तत्व है ? ऐसी विषमय परीक्षा के बिना और क्रुर लेश्या के बिना क्या जीवन नहीं निभ सकता? सब निभ सकता है। आप पूछेगे।
प्र. लेकिन स्नेह को परख लिया तो पीछे जीवन में तदनुसार व्यवहार रखा जाय न?
उ. तो क्या यह परख ऐसे जहरीले प्रयोग और काली लेश्या से की जाए? स्नेह को परखना हो तो जीवन की रोजमर्रा की प्रवृत्ति में अगले की बोल चाल कैसी है, हमारा कैसा आदर करता है, उसकी मुखमुद्रा कैसी रहती है, आदि पर से भी नाप सकते है। प्रेम कम मालूम हो और उसे बढ़ाना हो तो उसके लिए उचित कदम उठाये जा सकते हैं।
सांसारिक जीवन में सच्चा कर्तव्य तो यही है कि अपने पर दूसरे का स्नेह-सदभाव बढ़ाने के लिए उचित रीति नीति, तौर-तरीके अपनाएँ, सही व्यवहार रखें, ठीक कोमल
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