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लोभ-मोह, बडे मल्ल हैं । ये जीव को स्वयं के अधीन बनाकर दुर्गति के मार्ग पर चलाते हैं। अतः ऐसा प्रयत्न करना चाहिये कि ये क्रोधादि उदय में ही न आयें अथवा उदय में आये हों तो इनके उदय को निष्फल बनाना चाहिये।'
समाप्त
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