SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 167
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नहीं लगता। अब तो मौत आ जाय और इस घोर पीड़ा का अंत आ जाय, तो अच्छा हो । परन्तु ऐसे मौत कहाँ सस्ती पड़ी हैं ? भारंड पक्षी लोभदेव को उठाता है : एक दिन लोभदेव के शरीर में से मांस व खून निकालनेवाले दुष्ट पुरुष किसी काम में लगे हुए थे, उस वक्त लोभदेव झोंपडी से बाहर आता है। उसी समय आकाश में उड़ता हुआ एक भारंड पक्षी उसे देखता है। कटे हुए अंग व लहू से सना लोभदेव का शरीर देखकर भारंड पक्षी ललचा गया। भारंड पक्षी इतना बड़ा होता है कि उसके पांवो पर कोई आदमी पूरा लटक जाय, तो भी वह पक्षी उसे आसानी से उठाकर आकाश में उड़ता है। भारंड पक्षी तेजी से नीचे उतरा, लोभदेव को अपना भोज्य समझकर उठाया व तुरन्त आकाश में उड़ा। जैसे ही उन दुष्टों ने अन्दर से देखा, तो शोर मचाते हुए बाहर आये। परन्तु पक्षी तो लोभदेव को लेकर ऊंचाई पर पहुंच गया था। अब क्या किया जाय? बहुत कोलाहल मचाया, आवाजें दीं, परन्तु पक्षी तो चला गया। इस प्रकार लोभदेव ६-६ महीनों में एक बार काटे जाने की पीड़ा में से १२ वर्ष के बाद छूटा । परन्तु दु:ख का अन्त आया ? नहीं ! कर्म मजबूत हों, वहाँ तक पीडा का अन्त नहीं । लोभदेव के अशुभ कठोर कर्म का उदय अभी भी चालु ही है। इसीलिये संयोग बदलने पर भी पीड़ा तो सामने उपस्थित ही है। भारंड पक्षी उसे पांव से उठाकर आकाश में उड़ रहा है और साथ ही साथ चोंच से उसके कटे हुए अंगों में से मांस नोचता है। खन के चूंट-घुट चूसता है। शरीर के किसी भाग में फोड़ा फूटने के बाद डोक्टर उसे साफ करता है, तो भी कितनी जलन होती है ! यहाँ तो कटे हुए भागों में पड़े हुए बड़े जख्मों में पक्षी चोंच से नोंच-नोंचकर मांस के टुकड़े तोड़ता है व खाता है, तो कितनी वेदना होती होगी ! उन दुष्टों के आगे तो दया की भीख मांगता था - 'भाई साहब ! अब मुझे छोड़ो।' परन्तु यहाँ पक्षी के आगे क्या कहे ? दो पक्षीयों के बीच खींचातानी : पक्षी उसे लेकर उड़ते हुए समुद्र पर है, वहीं एक दूसरे भारंड पक्षी ने उसे देखा। वह भी शिकार देखकर ललचा गया । वह भी इसी तरफ बढ़ने लगा । पहला पक्षी छूटने की कोशिश करता है, परन्तु दूसरा पक्षी जल्दी से निकट पहुंच गया । लोभदेव के शरीर को उसने दूसरी ओर से पकड़ा और उसके कटे हुए अंगो पर चोंच मारकर मांस काटने लगा। पहला पक्षी भला यह सहन करेगा? दोनों पक्षियों के बीच लोभदेव के शरीर के लिये खींचातानी चली। दोनों पक्षी चोंच मारते हैं और उसे पांव से पकड़कर खींचते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003228
Book TitleKuvalayamala Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvanbhanusuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy