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शक्ति मिली हुई पड़ी है ? उसका भी उपयोग नहीं करना है ! इस परम मूल्यवान पुरुषार्थ-शक्ति को काम में नहीं लगाना है, उससे महापुण्य नहीं बढ़ाना है, जो कि पाप को दूर हटाए; और झूठा रोना रोते, भीख माँगते फिरना है ? मैं कदाचित तुम्हें रुपये मिले ऐसी व्यवस्था कर भी दूं तो भी पुरुषार्थ-शक्ति का सदुपयोग किये बिना जीवन पूरा करने के बाद परलोक में कहाँ पटके जाओगे इसका विचार आता है ? रुपये मिलना तुम्हारे हाथ की बात नही, वे तो भाग्य होंगे तो ही मिलेंगे; तुम्हारे चाहने या भीख माँगने से नहीं मिलेंगे, जब कि यह सत्पुरुषार्थ-शक्ति का उपयोग तो तुम्हारे हाथ की बात है | चाहो उतना सदुपयोग कर सकते हो। फिर व्यर्थ हैरान क्यों होते हो? वह तो तुम्हारे हाथ की बात नहीं है, और यह तो हाथ में आने की तैयारी में बहुत निकट की वस्तु सो खो रहे हो?' __ संत के उपदेश पर वह दरिद्र मुग्ध हो गया। पैरों पड़ कर बोला, 'महाराज! आपने आज तो मेरी आँखें खोल दीं। आपने एक तो सचमुच हाथ, पैर, आँख आदि सच्चे माल की पहचान करा दी, जिससे मैं उद्यमी बनें, न कि भिखारी, और दूसरे, परलोक की दृष्टि जगा कर बहुत ही निकट रहे हुए देवदर्शनसाधुसेवा-परोपकार-सद्भावना-शम-दम-प्रार्थना आदि की बहुमूल्य पुरुषार्थशक्ति का भान कराया, उसका सदुपयोग कर लेने का ज्ञान दिया । ये दो महान् वस्तुएँ सिखाकर तो आपने मुझ पर असीम उपकार किया है | मैं आपसे क्षमा माँगता हूँ कि पहले मैने आपसे - एक संत से - भीख माँगी। बस, अब मै उचित उद्यम शुरू कर दूंगा, और समय आने पर आपकी तरह संत बनूँगा।'
देखिये; यह आदमी पहले वस्तु बिगडने की ही दृष्टि से देखता था, तब 'मेरे पास अभी तक कितना बचा हुआ है' इस ओर नजर ही नहीं थी, फलतः निराशा, दीनता, याचना आदिमें घिसटता था। अब संत की वाणी के कारण बहुत सा बचा हुआ दिखाई दिया तो ऊँचे प्रकार के उद्यम में खूब उत्साहपूर्वक लग गया। इसमें भी विशेषतः निःस्वार्थ भाव से सच्ची मैत्री आदि भावना, इन्द्रियनिग्रह, कषाय-शमन, तथा दोनों समय गद्गद् हृदय से प्रभु से शुद्ध प्रार्थना करने लगा। इससे उसका पुण्य बहुत बढा, बहुत बढा - वह सचमुच सुखी हो गया। __हमारी बात यह थी कि साधना के लिए योग्य द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव आवश्यक है। उनमें योग्य भाव के तौर पर (१) ऐसे उत्साहपूर्ण भाव (२) उज्ज्वल पक्ष पर दृष्टि, (३) बचे हुए पर नजर (४) मैत्री आदि भाव- वगैरह जरूरी है | क्षेत्रमें जीवों के आर्तनाद से रहित, सुखःशांति पूर्ण सुन्दर वातावरणवाला क्षेत्र चाहिए ।
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