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________________ किया जाय व ठेठ राजपदवीं तक पहुँचाने का उपकार किया जाय तो क्या यह कृतघ्न, नमक हराम व विश्वासघाती निकलेगा ? नहीं, शायद नहीं । अपवाद के रुप में तो अपने पुत्र भी कहाँ द्रोह नहीं करते ? दुश्मन से भी बुरे निकलते हैं न? ऐसे अपवाद के उदाहरण देखकर डरकर नहीं बैठा जाता । नहीं तो फिर अच्छा व्यवहार या अच्छी प्रवृत्ति ही नहीं चलेगी। दूसरों के साथ के जीवन में हम द्रोह का भोग न बने, इसके लिये अर्थात् अपना विश्वासघात न करे, इसके लिये सावधानी रखनी चाहिये । राजा ने दुश्मन के पुत्र को अपने पुत्र की तरह संभालने के लिये मंत्री को सूचना दे दी, परन्तु यहाँ अब कुछ अलग ही घटना घटती है । निमित्त मिलने पर मनुष्य की विलक्षण वृत्ति कैसी सजग बनती है, यह यहाँ देखा जा सकता है । निमित्त का आगमन न हो, वहाँ तक सब कुछ सीधा चलता है, परन्तु जैसे ही निमित्त का आगमन हुआ कि अन्तर में उधलपुधल मच जाती है। यहाँ पर मालवदेश के बाल राजपुत्र का आगमन निमित्त बना है। इससे किसकी कैसी वृत्ति उछलती है और कैसी घटती है, यह देखिये । रानी को कोप : एकबार ऐसा हुआ कि सुमंगला नामक अन्तःपुर की स्थविरा आकर राजा के कान में कुछ कह जाती है | सुनकर राजा एकदम व्याकुल होकर पटरानी के महल की ओर जाता है। ऊपर जाकर देखता है तो महारानी प्रियंगुश्यामा वहाँ है ही नहीं । जाकर सुमंगला से पूछता है - 'महारानी कहाँ है' वह कहती है - ‘महाराज ! क्या कहँ ? वे तो न भोजन करती हैं, न स्नान; बस रोती ही रहती हैं।' | स्त्रियों को कोप के ५ कारण : राजा चौक उठा । अरे ! ऐसा क्या हुआ कि रानी ने खाना-पीना बन्द कर दिया और रोती ही रहती है ? इतना क्रोध आने का क्या कारण है ? हाँ, स्त्रियों को ५ कारणों से क्रोध आता है - (१) पति की तरफ से प्रेम भंग हो, (२) स्वयं को पति अयोग्य नाम से संबोधित करे । (३) सेवकजन अविनय करे । ३४ - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003227
Book TitleKuvalayamala Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvanbhanusuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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