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किस आधार पर ? अपने पुण्य की कमजोरी समझ कर सुख-सुविधा पर से अपना हक उठा लेने के द्वारा। फिर अनचाहा घटित हो उस पर खेद नहीं । इस तरह इच्छाएँ अपेक्षाएँ घटा दी जायँ तो इच्छानुसार न बनने पर जो उद्वेग होता है उसकी जगह ही न रहे । कुमार कहाँ है ?
कुमार कुवलयचंद्र को उसका घोडा आकाश में उड़कर दूर उठा ले जाता है। इस पर उसका पिता राजा यह क्या अकल्प्य घटित हो गया ? सोचा हुआ कहाँ धरा रहा ? ऐसे शोक में पड़ता है । उधर कुमार विचार में पड़ता है कि
'अरे! यह क्यों उडा ? मालूम होता है, कोई देव ही इस घोड़े के रूप में आया होंगा। तो जरा छुरे या बाण के प्रहार से देखूँ यह कौन है। या तो यह गिरेगा या अपना रूप प्रकट करेगा ।'
कुमार ने अभी दुनिया नहीं देखी है । दुनिया के प्रपंचो का अनुभव उसे नहीं है । परन्तु उसने बारह वर्ष तक कला-विद्या के साथ सत्व, दाक्षिण्य, निडरता आदि की जो शिक्षा पायी है वह उसे ऐसे समय में भयभीत न बना कर सावधान बनाती है । उसे ऐसा डर भी नहीं लगता कि 'घोडा छुरी से घायल हो कर कहीं नीचे गिरा तो मेरे पछाड़े जाने के कारण क्या हड्डियाँ नहीं टूट जाएँगी ?' क्यों डर नहीं है ? साहसी है, अतः समझा हुआ है कि यदि घोडा गिरे तो मुझे कूदकर नीचे छलांग लगाने में क्या देर लगती है ? पहले सब तालीम ली है ।
१०. क्या क्या पढ़ना चाहिए ?
आपकी संतान बहुत आगे आगे पढ़ रही है न ? बरसों उसमें बिताती है न ? एम ए. एम. कॉम. आदि डिग्रियाँ लेती है न? इस में कितने साल निकालती है ? सत्रह वर्ष ? सो भी हर वर्ष सीधे पास हो तो, नहीं तो १८, १९, २० वर्ष भी सही न ? फिर भी उनमें यह निडरता आती है ! उनमें यह सत्त्व, यह साहस और उँचे से नीचे सही सलामत कूद पड़ने की कुशलता क्या दिखाई देती है ? क्या पढ़ाते है आप ? केवल पैसे कमाने की विद्या । परन्तु सिर्फ पैसे कमाने से क्या दारिद्य (दलिद्दर) दूर होगा । कुशलतापूर्ण सुखमय शांत और सात्त्विक जीवन और दूसरों को विविध प्रकार से उपकारी सिद्ध होने वाला जीवन किस
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