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प्रयत्न में उलझ जाता है । प्रभु के नाम का जाप जपता हो, मन प्रभु के विचार में लगा हो, लेकिन यदि ऐसी इच्छा जगे कि 'जरा देखू तो, वह कौन आया है!' तो बस खत्म! मन और आँख बाह्य में जाएँगी और तब प्रभु विषयक चालू विचारधारा बन्द हो जाएगी । बाह्य उच्चारण या आंतरिक उचारण खाली जप करेंगे पर मन उसमें से उठ गया, तब बेमन की प्रवृति से लाभ कितना ? लाख रूपयों के लाभ के बदले पाँच रूपयों का लाभ । ऐसा महालाभ खोने में कारण कौन? फुजूल इच्छा । फुजूल इच्छा इतनी भयानक है कि अच्छे से अच्छे तत्त्वचिंतन शास्त्र- स्वाध्याय-परमात्म स्मरण या अनित्य अशरण आदि शुभ भावनाओ की धारा को भंग कर देती है ।
प्र० ऐसी खूख्वार हत्यारी इच्छाएँ कैसे अटके ? चला लेना सीखो :
उ० व्यर्थ इच्छाओं को रोकने का एक उपाय यह है कि 'चला लेना सीखें ।' जिस वस्तु की इच्छा हो उसके बगैर यदि चला लिया जाय तो इच्छा ऐसे ही अनायास शांत हो जाय। उदहरण के तौर पर - जाप करते करते जिज्ञासा उठी कि 'देखू - वह कौन आ रहा है ? क्या कह रहा है ? तब मन तुरन्त यदि समझ
ले कि 'यह जाने बिना मेरे चल जाएगा' तो वह इच्छा ऐसे ही शान्त हो जाएगी। ___यों तो हम जीवन में बहुत कुछ चला लेते हैं, बहुत सी चीजों के बिना, सुविधाओं के बिना, चला लेते हैं, तो फिर व्यर्थ इच्छाओं को पूर्ण किये बिना क्यों नहीं चला सकते ? गरीब आदमी का पुण्य नहीं पहुँचता, पैसों की पहुँच नहीं है तो मेवा-मिठाई, रेशमी कपडे, और मोटर गाडी अच्छी लगती हों तो भी वह उनकी इच्छा कहाँ करता है कि 'मुझे यह चाहिए, वह चाहिए ?' उसने समझ रखा है कि 'अपना पुण्य इतना नहीं है अतः इन कीमती चीजों के वगैर चला लेना रहा। और चला लें, इससे जीवन कोई अटक नहीं जाता, तो छोड़ दें इसकी तमन्ना रखना ।'
इस तरह यदि जीवन में अनेक वस्तुएँ अच्छी लगती हों तो भी उनकी इच्छा नहीं की जाती-कि 'यह मुझे चाहिए' तो उसे पाने या जानने की इच्छा क्यों करे? फुजूल बातें-वस्तुएँ देखिये तो सही कैसी कैसी होती हैं ?
फुजूल बातों-वस्तुओं के नमूने : उदाहरणतया – कपडा पहन कर चले, कपडे के सिरे पर जरा सी शिकन
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