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आत्मा वीतराग
|| जं लहइ वीयराओ सुक्खं तं मुणइ सुच्चिय न हु अन्नो ।।
बन जाती है यानी वीतराग आत्मा को अनंत सुख
होता है। वीतराग आत्मा को परम शांति
होती है। अनंत शक्तिशाली शुद्ध आत्मा में
आत्मा की
अनंत शक्ति प्रगट होती है लब्धि प्रगट होती है।
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