________________
तुम्हारे हाथ
सेडब
जाऊतोभी
अब तुम ले चलो उस पार ।। अपने से तो यह न हो सकेगा। यह भवसागर बड़ा है। दूसरा किनारा दिखाई भी नहीं पड़ता है। हां, तुम्हारा प्रेम का हाथ आ जाए तो मैं कहीं भी जाने को तैयार हूं। दूसरा किनारा न हो तो जाने को तैयार हूं। तुम्हारा हाथ काफी है। तुम बीच मझधार में डुबा । दो तो राजी हूं, क्योंकि तुम्हारे हाथ से डूब जाऊं तो भी उबर जाऊँ।। संसारतारकविभो । जीवनाधिनाथ !
20
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org