SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 99
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ध्यान हेप्ने अग्नि की तरह कुंदन बनाता है... अग्नि में कुछ भी डालो, कितना भी कूड़ा-करकट डालो, वह जलकर स्वाहा हो जाता है और यह अग्नि की विशेषता है कि सबको जलाकर भस्म करने के बाद भी वह पवित्र बनी रहती है। अग्नि की दूसरी विशेषता यह है कि वह उष्णता देती है, तीसरी यह है कि अग्नि की लपटे हमेशा ऊपर की ओर जाती है। अग्नि तपाती है, निखारती है, प्रकाश देती है और ऊंचाईयों की ओर अग्रसर होती है। इसी प्रकार से ध्यान भी अग्नि की तरह ही है। ध्यान से जीवन की जितनी भी बुराइयाँ हैं, सब जलकर भस्म हो जाती है। अग्नि से तपकर सोना निखर जाता है, कुंदन बनता है। उसके सारे मल जल जाते हैं। ठीक उसी तरह ध्यान की अग्नि से गुजरने के बाद जीवन भी कुंदन बन जाता है। आप बहुत शांत हो जाएंगे। आपको ज्यादा बात करने का मन भी नहीं होगा। ज्यादा जोर से बोलने का भी मन नहीं होगा। यदि ज्यादा बात करने का मन होता है, व्यर्थ की बातें मन में आती हैं, मन ज्यादा भटकाव की ओर ले जाता है तो इसका मतलब है कि कहीं हम कमजोर हैं। इसका मतलब है भीतर से ध्यान अभी परिपक्व नहीं हुआ है। " {{ झाठिगणा कम्ममलं डहेज्जा {{ MATA Jain EducationPmational For Private & Personal Use Only jainelibrary.org
SR No.003222
Book TitleLife Style
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherK P Sanghvi Group
Publication Year2011
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy