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अमरता का रहस्य एक युवक था। उसके मन में अमर होने का फितूर सवार हुआ। वह एक महात्मा के पास जा पहुँचा। उसने पूछा, ''हे महात्मन्, मुझ पर कृपा कीजिए । मनुष्य का जीवन भी क्या जीवन हैं ! मैं अमर होना चाहता हूं। क्या आप मुझे अमर होने का रहस्य बता सकते हैं?'' महात्मा ने उसके चेहरे पर दृष्टि डालते हुए कहा, "पहले तुम मेरे प्रश्नों का उत्तर दो। फिर मैं तुम्हारी समस्या पर विचार करूँगा। क्या तुमने राजा हरिश्चन्द्र का नाम सुना हैं?''
युवक ने कहा, "हाँ वे एक सत्यवादी राजा थे।''
''क्या तुम उनके समय की सबसे सुन्दर स्त्री का नाम बता सकते हो ?" महात्मा का दूसरा प्रश्न था। उसे सुनते ही युवक घबरा गया और बोला, “महात्मा जी, यह कोई कैसे बता सकता है? उस समय कितनी ही सुन्दर स्त्रियाँ रही होगी। उस समय की सर्वो त्तम सुन्दरी का नाम इतिहास की पुस्तकों में भी शायद नहीं है।''
महात्मा ने हँसते हुए अमरता का रहस्य बताया - "अपने अच्छे कर्मो के कारण ही राजा हरिश्चन्द्र हजारों वर्ष बाद भी याद किए जाते हैं - यही है अमर होने का रहस्य ।'
बोध – मनुष्य का शरीर नश्वर है । हम अपने सत्कर्मो से ही अमरता प्राप्त कर सकते हैं।
धर्मेणामरतां व्रजेत् ।।
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