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सुप्रभात जीवन को वन से उपवन व उपवन से नंदनवन बनाने के लिए अनिवार्य है.
नीत
नीरव सष्टि
सुप्रभात होते ही... चेतन में नवचेतन आविर्भूत होता है...
पंछियों के के
मानतो
एक मधुपंछियों के कलरव से..स.. भजन के मधुरव से... मानव के पगरव से....
हरीभरी बनती है। आंदोलित बनती है। सुफल संपूर्ण बनती है।
लित बनती है। सुफल संपूर्ण बनत
दोष्ट की दिव्यता प्राप्त होती
महारने के लिए
दृष्टि की दिव्यता प्राप्त होती है... चेतन सृष्टिसौंदर्य निहारने के लिएहोता है।
पण करने वाले पुरुषार्थ को भव्यता प्राप्त होती है...
व्य शिल्प भाग्य शिल्प के निर्माण करने वाले पुरुषार्थ को भव्यता प्राप्त होती है...
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