________________
शहंशाह अकबर के दरबार में...
नवरत्न विराजमान थे....
विविध विषयों पर विवाद हो रहा था...
• और साथ ही साथ...
हँसी-मजाक की फुलझड़ियाँ भी...
अचानक एक चारण ने...
दरबार में प्रवेश किया....
अपने मस्तक से पगड़ी उतारी....
व बादशाह को सलाम किया...
आगबबूला होकर...
बादशाह ने गर्जना की....
हे धृष्ट चारण...
तेरी यह मजाल कि मेरे अपने ही... दरबार-ए खास में मेरी तौहीन...
शमशीर म्यान से निकालकर उसने पूछा.
बोल चारण... यह गुस्ताखी क्यों ?
चारण स्वस्थतापूर्वक बोला...
2
कैसे परास्त हो सकता है
चारण बोला - हे बादशाह ! राणा की पगड़ी भी आपके सामने नहीं झुकेगी। तो राणा कैसे झुकेगा ?
राणा को मात देने के आपके मनसूबे खाक है...
चारण वीरता से.. निकल गया ।
अकबर ने सोचा...
बादशाह ! यह पगड़ी राणाप्रताप की है... यह तुम्हारे सामने झुक नहीं सकती है....
और तमतमाये अकबर ठंडे पड़ गये...
84
Jain Education International
जिस मुल्क की प्रजा में इतना जोश, इतनी मर्दानगी हो..
उस देश का राणा कैसे परास्त हो सकता है ?
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org