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HAPPY
Light will be with you
सूर्यास्त हुआ.. हल्का सा अंधेरा होने लगा...
विशाल वन में एक नन्ही सी पगडंडी के समीप वह खड़ा था.. अकेला.. हाथ में टिमटिमाता हुआ दीपक लेकर...
पगडंडी के समीप स्थित कुटिया में रहने वाले ने उससे पूछा.. मित्र.. क्या किसी स्नेही.. किसी स्वजन की प्रतीक्षा कर रहे हो ? उसने कहा
"प्रतीक्षा ? प्रतीक्षा तो किसी की नहीं.. किंतु, दुविधा में पड़ा हूँ...
जाना है दूर.. अपने वतन.. पर इस अंधकार में पथ कैसे ढूँढ़ पाऊँगा ?" किंतु, आपके पास तो दीपक है...
यही समस्या है.. इस टिमटिमाते दीपक के प्रकाश में मैं केवल दो चार कदम चल पाऊँगा.. और मेरे आगे है.. अंधेरे का अथाह महासागर..
हँसकर कुटिया में रहने वाला बोला- केवल एक वाक्य... भ्राता, तुम बस चलते रहो..
प्रकाश भी चलता रहेगा.. तुम्हारे साथ-साथ..
और दो चार कदमों के लिए पर्याप्त प्रकाश ने समूचा पथ प्रकाशित बनाया। जीवन के संकटों से व क्षतियों से तनिक भी प्रभावित न हों...
आगे बढ़ते रहो.. यह दिसंबर महीना हिना बनकर आपके जीवन को रंग से परिपूर्ण करें...
मुश्किलें दिल के इरादे आजमाती हैं, ख्वाबों के परदे निगाहों से हटाती हैं, हौसला मत हार गिरकर मुसाफिर, ठोकरें ईन्सान को चलना सिखाती हैं । 80ain Education International
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