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वचनविवेक शब्दों के बिना जीवन जीना मुश्किल है... बोलना तो पड़ेगा ही, मगर संकल्प ऐसा करें कि... द्रौपदी की तरह नहीं, अनुपमा की तरह हम बोलें... जिससे... विनाशी महाभारत नहीं... बल्कि... आबु देलवाड़ा के कलात्मक जिनमंदिरों का निर्माण संभव है।
कवि कहते हैं... बिन बुलाए कभी मेहमान आ जाते हैं घर, ज्वार के संग कभीजलयान भी आजाते हैं घर, घर के राजा मत बोल कड़वे बोल किसी से, भिक्षुक बन कभी भगवान आ जाते हैं घर।
विवेक, विनय एवं विशाल हृदयपूर्वक संवाद करें...
तो वैरभाव का विष कैसे पनपेगा? विचारों को सुंदर बनाएंगे तो उच्चार सुंदरतम ही बनेंगे...
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