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निमित्त की उपेक्षा करो...
why not take a walk
संसार में दो प्रकार की मनोवृत्तियां है - श्वान वृत्ति और सिंह वृत्ति। श्वान । वृत्ति त्याज्य है और सिंह वृत्ति उपादेय है।।
' जैसे श्वान (कुत्ता) पत्थर या लकड़ी पर झपटता है पत्थर या लकड़ी मारने वालों पर नहीं। ऐसे ही कुछ व्यक्ति कष्टों से परेशान तो होते हैं पर कष्ट के मूल कारण को नष्ट नहीं करते और न ही उस पर चिन्तन करते हैं।
जैसे सिंह बन्दूक की गोली को नहीं देखता गोली मारने वाले पर झपटता है। ऐसे ही कुछ व्यक्ति कष्ट के मूल कारणों को जानकर उसे नष्ट करना चाहते हैं। __यूँ अध्यात्म दृष्टि से चिन्तन किया। जाए तो श्वान वृत्ति निमित्तपरक दृष्टि है और सिंह वृत्ति उपादानपरक दृष्टि है। जीवन में उपादानपरक दृष्टि मुक्ति का द्वार खोलती है।
।। पत्थरेणाहओ कीवो पत्थरं डक्कुमिच्छइ ।। एमिगरिओ सरं एप्प सरुप्पत्तिं विमग्गइ ।
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