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DREADING AND HOPING ALL:
NOR DREAD NOR HOPE ATTEND A DYING ANIMAL
A MAN AWAITS HIS END
A GREAT MAN IN HIS PRDE CONFRONTINS MURDEROUR ME
MANY TIMES HE DIER, 8 MANY TIME ROBE AGAIN.
मृत्यु का डर DEATH
SURSSION OF BREATHE
HE KNOWS DEATH TO THE BONE MAN HAS CREATED DEATH
हम मृत्यु से क्यों डरते हैं? मृत्यु दुःख रूप नहीं सुख रूप है क्योंकि जिन दुःखों से
लोग नहीं छुड़ा सकते उन दुःखों से मृत्यु
CASTS DORSION UFONO
हमें अपने निकटतम सगे-स्नेही परिवार के
तो वह हमारे असंयम के कारण से ही होता है.... मृत्यु के क्षण में सम्पत्ति और स्वजनों को छोड़ने का जो दुःख है वह भीतर की
छुड़ा देती है। वस्तुतः मृत्यु का दुःख जीवन
का ही दुःख है। जीवन में रोग का दुःख है
ममता के कारण से ही होता है। मृत्यु के बाद मेरा क्या होगा यह भय भी अज्ञान जनित है। ऐसे चार प्रकार के दुःख हैं - (१)
शरीर की वेदना (२) पापों की स्मृति (३)
मृत्यु को कलात्मक ढंग से स्वीकार करो वह सुख का कारण बनेगी।
। मृत्युमित्रप्रसादेन प्राप्यन्ते सुखसम्पदः । सर्वदुःखप्रदं पिण्ड दूरीकृत्यात्मदर्शिभिः ।।
सुख का मोह (४) भविष्य की चिन्ता...
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