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________________ मौन की गहराई { { पुद्गलेष्वप्रवृत्तिस्तु योगानां मौनमुत्तमम् ।। मौन का अर्थ है नहीं बोलना। यह अर्थ बड़ा सामान्य है परन्तु ज्ञानियों ने इसका गहरा अर्थ समझाने के लिए चार प्रकार से समझाया है...... १) वाणी का मौन : चुप रहना और पापकारी वचन नहीं बोलना..... २) मन का मौन : मन में विकल्प न उठना और मन का इधर-उधर न भटकना.... ३) काया का मौन : कायिक चेष्टाओं को शान्त रखना और पांच इन्द्रियों का संयम रखना..... ४) आत्मा का मौन : स्वयं की आत्मा को अन्य भावों से हटाकर आत्मभाव में लीन रखना.... विचार, विकार और विभाव जहाँ समाप्त होने के लिए जो पुरुषार्थ किया जाए वही आत्मा का मौन है | यह मौन सर्वश्रेष्ठ है। अपनी मौन साधना ऐसी हो जो आत्मा के मौन तक ले जाने का लक्ष्य स्वती हो । Jain Education Intemational For Private & Personal use only
SR No.003222
Book TitleLife Style
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherK P Sanghvi Group
Publication Year2011
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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